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गुरमीत था एयरपोर्ट की वीआईपी लिस्ट में शामिल, सरकार ने नाम हटाने को कहा

विवाद के बाद सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को खत लिखकर गुरमीत को मिले वीआईपी ट्रीटमेंट को हटाने को कहा।
गुरमीत था एयरपोर्ट की वीआईपी लिस्ट में शामिल, सरकार ने नाम हटाने को कहा

यौन शोषण के दो मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। गुरमीत फिलहाल जेल की हवा खा रहा है लेकिन उससे जुड़े सवाल अभी तक चारों तरफ घूम रहे हैं। आपको बता दें कि रेप के मामले में रोहतक जेल में सजा काट रहे गुरमीत को देश भर में हवाईअड्डों पर वीआईपी लाउंज  के इस्तेमाल करने की सुविधा मिली हुई थी, जिस पर अब रोक लगा दी गई है।

नागर विमानन मंत्रालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर एयरपोर्ट की वीआईपी लॉन्ज में प्रवेश पाने वाले विशिष्ट जनों की सूची से गुरमीत राम रहीम का नाम हटाने को कहा है। 

बता दें कि ये रोक वरिष्ठ वकील प्रशान्त भूषण के ट्वीट के बाद लगाई गई है। प्रशान्त भूषण ने ट्विटर पर एक सवाल पूछा था। उन्होंने ट्वीट में एक लिस्ट की फोटो लगाई थी। इस लिस्ट में उन वीआईपी लोगों के नाम थे, जिन्हें एयरपोर्ट पर रिजर्व लाउंज इस्तेमाल कर सकने की इजाजत है। लिस्ट में तमाम महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों का जिक्र है। इसी में सबसे नीचे गुरमीत राम रहीम का नाम भी शामिल है। गुरमीत का नाम लिस्ट में 51वें नंबर पर है। प्रशान्त भूषण ने इस लिस्ट के हवाले से सवाल पूछा है कि रेपिस्ट बाबा आखिरी शख्स है, जिसे मोदी सरकार ने इस लिस्ट में शामिल किया है। यह आदेश किसने दिया?

यह रहा प्रशान्त भूषण का ट्वीट-

विवाद के बाद सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को खत लिखकर गुरमीत का नाम वीआईपी लिस्ट से हटाने को कहा।

बता दें कि सिर्फ एयरपोर्ट ही नहीं रोहतक जेल में भी गुरमीत को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने के आरोप लग रहे थे, जिससे जेल प्रशासन ने इनकार किया था।

गुरमीत राम रहीम कई राजनीतिक पार्टियों के करीब रहा है। उसके भक्तों की संख्या काफी ज्यादा है इसलिए लगभग सभी दल उसके यहां वोट बैंक की वजह से उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। गुरमीत राम रहीम ने पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील तक की थी। ऐसे में उसे सरकार की तरफ से एयरपोर्ट में वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने की बात में आश्चर्य कैसा? इसे रिटर्न गिफ्ट की तरह भी देखा जा सकता है। भक्तों की भीड़ में बड़ी ताकत है।

यही वह भक्तों की भीड़ थी जिसने गुरमीत को दोषी करार दिए जाने के बाद हरियाणा में अराजकता की स्थिति पैदा कर दी थी। इसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 250 लोग घायल हुए थे। 

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