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प्रणय रॉय पर सीबीआई छापों को लेकर मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया, आपातकाल से तुलना

एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय पर सीबीआई की छापेमारी से मीडिया जगत में हलचल तेज हो गई है। सोमवार को प्रणय रॉय पर हुई इस कार्रवाई को लेकर पत्रकारों द्वारा काफी तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही है।
प्रणय रॉय पर सीबीआई छापों को लेकर मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया, आपातकाल से तुलना

पत्रकारों द्वारा कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई को सरकार ने दुर्भावनावश अंजाम दिया है। वहीं इसे मीडिया पर सरकार का हमला भी माना जा रहा है।  पत्रकार सागरिका घोष ने ट्वीट किया है “हम पत्रकारों की पीढ़ी के लिए प्रणय रॉय पत्रकारिता की अखंडता और नैतिक ईमानदारी का उदाहरण हैं। इस पर (आरोपों पर) विश्वास नहीं किया जा सकता।”

 

वहीं पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इस पर आश्चर्य जताते हुए ट्वीट किया,  "2017 में 2010 के मामले के लिए प्रणय रॉय पर छापे? सीबीआई या आईटी को सार्वजनिक तौर पर ब्योरा देना चाहिए।"

 

 

पत्रकार जे गोपीकृष्णन ने ट्वीट कर बताया कि प्रणय रॉय और एनडीटीवी पर यह मामला दिसंबर 2010 में एम जे अकबर द्वारा रिपोर्ट किया गया था।

 

 

एम के वेणु ने इसकी तुलना आपातकाल से की है। उन्होंने ट्वीट किया, “प्रणय रॉय पर सीबीआई छापा संदेश है कि मीडिया सामान्य व्यवहार करे। सरकार निम्न श्रेणी के आपातकाल का सहारा ले रही है।”

 

पूर्व पत्रकार और आप नेता आशुतोष ने लिखा है, “यह शर्म की बात है कि अन्य समाचार टीवी चैनल एनडीटीवी / प्रणय रॉय की तरफ नहीं हैं, कल उन्हें भी टार्गेट किया जाएगा।”

 

जांच के समर्थन में पत्रकारों की टिप्पणी

कुछ पत्रकारों ने इस जांच को सही ठहराया। रोहित सरदाना तंज कसते हुए लिखा “मीडिया मालिक आईटी / सीबीआई / सुप्रीम कोर्ट से ऊपर होना चाहिए। अगर कुछ जांच की आवश्यकता होती है तो उन्हें बुक नहीं कर सकते।”

 

 

 

 

 

 

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