@officeOfRG ने ट्वीट किया कि बोलने की आजादी हमारा अधिकार है। किसी भी बहस या परिचर्चा को दबाने की कोशिश करने वाली ताकत से हम लड़ेंगे।
@officeOfRG- मोदी सरकार की आलोचना करने पर आईआईटी छात्र संगठन पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब आगे?
स्मृति ईरानी @officeOfRG- -अगली दफा अपनी लड़ाई खुद लड़ना। एनएसयूआई के पीछे मत छिपो। और हां मैं जल्द अमेठी लौट रही हूं। तुम्हें वहां देखूंगी।
स्मृति ईरानी के इस जवाबी ट्वीट की काफी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि स्मृति ईरानी का ‘सी यू देयर ’ से आखिर मतलब क्या है
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्वीट किया- आईआईटी मद्रास के छात्र संगठन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कोई बचाव नहीं, लेकिन कांग्रेस का स्मृति ईरानी के घर पर प्रदर्शन करना भी गलत है। न्यूनतम अनुशासन तो होना ही चाहिए।
शहजाद पूनावाला –कोई सरकार में एक मंत्री के @OfficeOfRG को किए #seeyouthere ट्वीट का क्य़ा मतलब निकाले?
जैद हामिद- मां-बेटा(सोनिया गांधी और राहुल गांधी) को स्मृति ईरानी से नहीं उलझना चाहिए।स्मृति ईरानी को सास-बहू टाइप साजिशें हैंडल करना अच्छे से आता है।
विनोद मेहता-@DrunkVinodMehta- आईआईटी मद्रास छात्रों का मुद्दा बोलने की आजादी का मुद्दा है। स्मृति ईरानी इसे निजी बना रही हैं।
जाका जैकब- आईआईटी मद्रास छात्रों का विवाद आग पकड़ रहा है। स्मृति ईरानी के लिए आसान है राहुल गांधी पर निशाना साधना, यानी मुद्दे को भटकाना।
शैलेष- समझ नहीं आता कि लोग स्मृति ईरानी के बचाब में कैसे आ सकते हैं। आखिर उन्होंने शिक्षण संस्थानों के लिए किया क्या है?
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रविंद्र कुमार- स्मृति ईरानी इंडिया टीवी पर कोप भवन में बैठ कर राहुल गांधी को जी भर कर कोस रही थीं। औरत हो या आदमी दोनों का अतीत उन्हें परेशान करता है। अपने ऊपर हमले को वह एक मंत्री पर हमला न बता कर कह रही हैं यह औरत पर हमला है। जाहिर है वह लिंग का सहारा लेना चाहती हैं। शर्मनाक है कि शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता को नजर अंदाज करने के लिए वह घटिया मानसिकता का सहारा लेकर फासीवादी तौर तरीकों से बचाव कर रही हैं । मोदी का असली हमला लोकतांत्रिक विचारों पर है और स्मृति ईरानी को हटवाए बिना यह आंदोलन अब नही रुकेगा।
इकबाल अहमद- स्मृति ईरानी का बहुत मजाक उड़ा लिए पढी़- लिखी महिला पहली दफा एचआरडी मंत्री बनी है। शिक्षा मे कुछ बदलाव लाना चाहती है और तुम हो कि उसके कामों पर सवाल पर सवाल किए जा रहे हो।
प्रिया भाटिया- जिस तरह से स्मृति ईरानी ने राहुल जी को लपेटे मे लिया है, कहीं ऐसा न हो कि उन्हें फिर से बैंकाक निकलना पड़े।
रजट खन्ना- किसी भी सूरत में इस कदम को सही नहीं ठहराया जा सकता। केंद्र सरकार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस फैसले पर पुनः विचार करना चाहिए।
मनोज कुमार शर्मा- सच कुछ समय के लिए छुप सकता हैं लेकिन कभी परास्त नहीं होता। भाजपा के चेहरे से नकाब उतरने लगा है। तिलिस्म खत्म होने के करीब है। सरकार अब केवल टीवी और समाचार पत्रों में ही विकास का उल्लेख कर रही हैं और वाह-वाही लूटने में मस्त है। स्मृति ईरानी की बौखलाहट अमेठी पहुंच कर खबरों में बने रहने का प्रयास टीवी चैनल देख कर समझ आता है। जहां एक कमरे में भाजपाई मोदिमीनिया की बीमारी से ग्रस्त नजर आ रहे हैं वहीं गांधी परिवार सीधे लोगो से संवाद स्थापित कर रहा है। पत्रकारों को देख कर तरस आता हैं जब यह हांफ्ते हांफते राहुल गांधी के पीछे कभी केदार धाम तो कभी तेलंगाना की गर्मी में तो कभी केरल में भागते हैं। कभी रायबरेली में प्रियंका गांधी का पीछा करते हैं।