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खबरों के साथ कौन खेल रहा है

ब्रेकिंग न्यूज देने के चक्कर में खबरों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना खबर को पुष्ट किए ही खबर चला दी जाती है और बाद में खबर गलत हो जाती है तो मिलती-जुलती खबर देकर मामले को दूसरा रुप दिया जाने लगता है। जंतर-मंतर पर गजेंद्र सिंह की खुदकुशी के मामले में भी कुछ ऐसा ही पढ़ने और देखने को मिल रहा है।
खबरों के साथ कौन खेल रहा है

 तमाम मीडिया रिपोर्ट अलग-अलग तरीके से खबरों को दिखा और प्रकाशित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर गजेंद्र सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पुलिस ने किसे सौंपा किसे नहीं अलग-अलग तरह की खबरें आयी। दूसरी तरफ रिपोर्ट में क्या है उसको लेकर भी अलग-अलग रिपोर्टिंग हुई। अब पाठक या दर्शक क्या सोचेगा कि हकीकत क्या है।
एक रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को सौंप दिया है तो दूसरी में कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी गई। जबकि कोई आधिकारिक बयान नहीं है कि किसको रिपोर्ट सौंपी गई और रिपोर्ट में क्या है? सूत्रों के हवाले से खबर का हवाला देकर वास्तविक तथ्यों से नजरअंदाज कर दिया जाता है। जहां खुदकुशी हुई है वहां की जांच पुलिस करेगी या फिर सरकार ने जिसे आदेश दिया है वह करेगा।

कानूनी प्रावधान तो यह कहता है कि खुदकुशी का मामला है और सरकार ने अगर मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश दे दिया है तो मजिस्ट्रेट मामले की जांच करेगा। लेकिन पुलिस आपराधिक जांच करती रहेगी और मजिस्ट्रेट को जांच से अवगत कराती रहेगी। अगर पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि असली गुनहगार कौन तो वह अपनी रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को सौंप देगा उसके बाद एफआईआर दर्ज होगी।  लेकिन इस मामले में पुलिस के ही सूत्रों से अलग-अलग खबरें चली। किसी में यह कहा गया कि रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी को दोषी ठहराया गया तो किसी में कहा गया कि फांसी लगाने से गजेंद्र की मौंत हुई। 

इसी तरह नेपाल में आए भीषण भूकंप से मची तबाही के बाद यह खबर चली कि पाकिस्तान की ओर से बीफ का मसाला नेपाल भेजा गया है। इस खबर को भी ब्रेकिंग न्यूज की तरह चलाया गया। लेकिन किसी ने यह नहीं जानने की कोशिश की कि बीफ के मसाले में बीफ होता है या फिर सामान्य मसालों की तरह मसाला।

अगर मीट मसाला, चिकन मसाला है तो क्या इसमें मीट या फिर चिकन मिला होता है। कई खबरें बिना पुष्ट किए जो ब्रेकिंग न्यूज बनती जा रही है उससे यह सवाल भी उठने लगा है कि कौन लोग हैं जो खबरों से खेल रहे हैं और रिपोर्टर भी ऐसे लोगों पर विश्वास करके खबर चला देते हैं। वास्तविक तथ्यों की जांच करके ही अगर खबर चलाई जाए तो खबर की विश्वसनीयता बनी रहेगी।

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