समारोह की अध्यक्षता इल्मी मजलिस- लन्दन के अध्यक्ष एवं इतिहासकार जिया शकेब ने की। प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल थे, लेखक और वातायन की संस्थापक-अध्यक्ष दिव्या माथुर, ब्रिटेन में गुजराती शिक्षण के अग्रणी संस्थापक- लेखक और शोधकर्ता प्रोफेसर जगदीश दवे एमबीई, लेखक और बीबीसी विश्व हिंदी सेवा की पूर्व प्रमुख डॉ. अचला शर्मा, यू3-आंदोलन की सदस्य एवं परिवार और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार मीरा चंद्रन, लेखक और काव्य रंग-नॉटिंघम की अध्यक्ष जय वर्मा, लेखक और वतायान कोषाध्यक्ष शिखा वार्षेणेय उपस्थित थे।
नेत्र सर्जन, फिल्म निर्माता, कवि और रेडियो-प्रस्तोता डॉ. निखिल कौशिक द्वारा कार्यक्रम का सुन्दर ढंग से संचालन किया गया। वार्षिक-वातायन काव्य पुरस्कार से प्रसिद्ध और अनुभवी कवयित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया जिन्होंने गीत, ग़ज़ल, खंड-काव्य, कविता और हाइकु की दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। मधु जी की अनुपस्थिति में, उनकी बेटी, अंजलि बेदी ने यह पुरस्कार स्वीकार किया।
अंतरराष्ट्रीय कविता साधना सम्मान, सी बी पटेल, बैरोनेस फ्लैदर और डॉ जिया शकेब द्वारा योगेश पटेल को, अंग्रेजी, गुजराती और हिंदी साहित्य में उनके असाधारण योगदान के माध्यम से कविता को बढ़ावा देने एवं विश्व साहित्य को समृद्ध बनाने हेतु दिया गया। अंग्रेजी और गुजराती साहित्य के जाने माने कवि एवं लेखक योगेश को आलोचकों ने “एक व्यवहारिक और अप्रत्याशित निरीक्षक और निर्भीक लेखक” के तौर पर चुना है। उन्होंने कई विश्व प्रसिद्ध नामों के साथ 1969 से अंतरराष्ट्रीय कविता की दुर्लभ आवाजों का प्रकाशन किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि वे दक्षिण- एशियाई प्रवासियों की रचनाओं को बढ़ावा देते हैं एवं प्रकाशित करते हैं।
अंत में, प्रतिष्ठित भारतीय कवि डॉ कुंवर बेचैन को वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे कुल मिलाकर 33 पुस्तकों (गीत, गजल, दोहा, हाइकू, मुक्त छंद, महाकाव्य, उपन्यास, यात्रा वृतांत, आदि) के लेखक है।