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मोदी सरकार के सत्ता में आते ही इसरो को लगे पंख, ये हैं 3 साल की 5 बड़ी उपलब्धियां

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार शाम ठीक 5:28 बजे जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। पूरी तरह देश में बने सबसे भारी रॉकेट के लांच के साथ ही इसरो और मोदी सरकार के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। पिछले तीन सालों में इसरो की सफलता की कहानी उल्लेखनीय रही है!
मोदी सरकार के सत्ता में आते ही इसरो को लगे पंख, ये हैं 3 साल की 5 बड़ी उपलब्धियां

इसरो ने हमेशा ही देश का गौरव बढ़ाया है। मोदी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल में इसरो ने जैसे एक छलांग लगाई है। एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में सफलतापूर्व छोड़ने के साथ ही अच्छी खासी कमाई भी की है।

जीएसएलवी मार्क-3

इसरो ने जीएसएलवी मार्क-3 को लेकर काफी काम किया हैं। पूरी तरह से देश में ही बने क्रायोजेनिक इंजन वाला जीएसएलवी-3 लॉन्च होने को तैयार है। अगर इसरो का यह प्रोजेक्ट कामयाब होता है तो भविष्य में भारत अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजने में सफल हो सकेगा। मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को गति दी है। पिछले 15 साल से इसरो में इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था।

सार्क सैटेलाइट

सार्क सैटेलाइट यानी जीएसएलवी एफ09 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। सार्क देशों की बेहतरी के लिए यह भारत का एक उपहार है। पाकिस्तान की तमाम अड़चनों के बावजूद इसी साल पांच मई को इसे लांच कर दिया गया। यह मोदी सरकार की वास्तव में बड़ी उपलब्धि है।

एक साथ 104 उपग्रह

यह कबिले तारीफ ही नहीं मिसाल कायम करने वाली उपलब्धि है। रूस के एक साथ 37 उपग्रह लांच करने के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए भारत ने 104 उपग्रह सफलता पूर्व अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किए। पूरी दुनिया ने इसरो की इस सफलता को देखा है। इसरो ही नहीं स्पेस सांइस में दुनिया ने भारत का लोहा माना। बेशक यह उपलब्धि भी केंद्र की मोदी सरकार के खाते में जाती है।

इसरो ने प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ा

उपग्रह प्रक्षेपण में सौ फीसदी सफलता हासिल करने के साथ ही इसरो की न सिर्फ दुनिभर में प्रतिष्ठा बढ़ी, बल्कि प्रतिस्पर्धियों को चुनौति भी दी। अमेरिका की स्पेस एक्स जैसी कंपनियां 2015 तक एक सैटेलाइट छोड़ने के लिए 6 करोड़ तक वसूल रही थी, जबकि इसरो ने इसके लिए मात्र 30 लाख रुपये ही लिए।

कॉमर्शियली हिट

घर फूंक तमाशा करने की बजाय इसरो अब आर्थिक रूप से भी काफी हद तक सफल है। पिछले तीन साल में इसरो ने अपने संसाधन अर्जित करने पर काफी जोर दिया है। एक उदाहण से ही इसे समझा जा सकता है। इसरो ने एक साथ जो 104 उपग्रह अंतरिक्ष में लांच किए थे, उनमें से 101 दूसरे देशों के उपग्रह थे! एक रिपोर्ट के मुताबि इनके लांच से भारत ने करीब 300 मिलियन डॉलर कमाए।  

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