Advertisement

GSLV मार्क 3: अगर 1980 में रूस क्रायोजेनिक इंजन तकनीक दे देता तो आज भारत आत्मनिर्भर न होता

भारत ने सोमवार को देश में ही निर्मित जीएसएलवी मार्क-3 को लांच कर इतिहास रच दिया। लेकिन अगर 1980 में सोवियत रूस भारत को इसमें इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक दे देता तो आज यह उपलब्धि इतनी बड़ी न होती।
GSLV मार्क 3: अगर 1980 में रूस क्रायोजेनिक इंजन तकनीक दे देता तो आज भारत आत्मनिर्भर न होता

जीएसएलवी मार्क-3  सैटेलाइट लांच व्हीकल इसलिए ही बड़ी उपलब्धि नहीं है कि यह अभी तक का सबसे भारी-भरकम रॉकेट है, बल्कि इसलिए भी कि यह पूरी तरह देश में बना है।

अगर देखा जाए तो आज की इस उपलब्धि में भारत के साथ-साथ रूस भी साझीदार है। इसलिए नहीं कि उसने जीएसएलवी मार्क-3  का कोई पुर्जा बनाया या सीधे तौर पर कोई मदद की। दरअसल बात 1980 की है। भारत ने तत्कालीन सोवियत रूस से क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक मांगी थी। लेकिन अमेरिका के दबाव में सोवियत रूस ने भारत को यह तकनीक नहीं दी।

नतीजा यह कि उस समय भारत ने खुद यह क्रायोजेनिक इंजन तकनीक विकसित करने की तरफ काम करना शुरू कर दिया। इसमें काफी वक्त लगा। लेकिन परिणाम सबके सामने है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित क्रायोजेनिक इंजन के साथ ही जीएसएलवी मार्क-3  ने आज इतिहास रच दिया।

दरअसल जीएसएलवी मार्क-3  की लांचिंग दुनियाभर में भारत की स्वदेशी तकनीक की भी परीक्षा थी।   

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
  Close Ad