अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा केरल मे आई बाढ़ के कारणों पर एक वीडियो जारी किया है जिसमें बताया गया है कि इस बार केरल में सामान्य की अपेक्षा अधिक बारिश हुई जो बाढ़ आने का कारण बनी।
नासा के इस वीडियो जामें भारत के विभिन्न भागों में होने वाली मानसूनी बारिश के पैटर्न का विश्लेषण किया है जिसमें केरल और कर्नाटक में आई बाढ़ के कारणों का भी जिक्र किया गया है। नासा का यह वीडियो विश्लेषण सैटेलाइट से मिले आकंड़ों पर आधारित है।
ग्रीष्म ऋतु के अंत में आने वाला दक्षिण पश्चिम मानसून ही भारत में वर्षा लाने वाला होता है। पवनों की दिशा, अलग-अलग वायुदाब के क्षेत्रों और स्थानीय भौगोलिक भिन्नताओं के कारण इस मानसून से कहीं ज्यादा तो कहीं कम वर्षा होती है। कम दबावों वाले भाग अधिक वर्षा लाने वाले होते हैं।
इस समय केरल सदी की सबसे भयंकर बाढ़ और उससे उपजी तबाही का सामना कर रहा है, जिसमें अभी तक तीन लाख से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है और सवा दो सौ से अधिक लोग इसमें अपनी जान गवां चुके हैं।
13 अगस्त से 20 अगस्त के बीच के आंकड़ों पर नासा ने दो अलग-अलग चरणों में बारिश के पैटर्न को समझाने की कोशिश की है।
पहला चरण अधिक बड़े, उत्तरी भाग में वर्षा लाने वाला रहा है। इसमें पश्चिमी हिस्से में जहां 5 इंच तो वहीं पूर्वी भाग में 14 इंच तक साप्ताहिक बारिश दर्ज हुई।
जबकि दूसरा चरण अपेक्षित रुप से अधिक केंद्रित था और मुख्यतः भारत के दक्षिण पश्चिमी तटीय भागों और पश्चिमी घाटों में सकेंद्रित हुआ।
नासा के अनुसार सामान्यतः इस चरण में 10 से 16 इंच तक साप्ताहिक बारिश होती है। 16 इंच बारिश की स्थिति उन क्षेत्रों में बनती हैं जहां वायुदाब बहुत कम हो जाता है। लेकिन इस बार दिए गए समयान्तराल में 18.5 इंच बारिश दर्ज की गई।
डेटा संसोधन की इस प्रणामी में हर आधे घंटे में आंकड़े लिए जाते हैं। इस तरह इसे लगभग रियल टाइम डेटा एनालिसिस माना जाता है।