जीवन की तलाश में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2020 में जिस मार्स रोवर को मंगल ग्रह पर भेजेगा उसका स्वरूप अब सामने आने लगा है। मार्स रोवर 2020 की 23 ‘आंखें’ होंगी। यानी इसमें कुल 23 कैमरे लगे होंगे। इससे वह लाल ग्रह पर अपने चारों ओर के वातावरण का अध्ययन करेगा और अवरोधों का पता लगाएगा।
नासा ने बताया है कि इन कैमरों की मदद से रोवर के पैराशूट से उतरने की प्रक्रिया की नाटकीय तस्वीर भी ली जा सकेगी। रोवर के भीतर भी एक कैमरा लगा होगा जो उसके द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ाें का अध्ययन करेगा। 2020 के मिशन के मास्टकैम जेड के मुख्य जांचकर्ता और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के जिम बेल ने बताया कि 2020 के रोवर के कैमरों में ज्यादा रंग होंगे और 3डी इमेज की भी सुविधा होगी। इससे वह दूर की तस्वीरें भी ले सकेगा। भौगोलिक स्थितियों का अध्ययन करने और आंकड़े जुटाने की क्षमता बढ़ जाएगी।
1997 में पहली बार जब इस ग्रह पर नासा का मार्स पाथफाइंडर उतरा था तो उसमें पांच कैमरे लगे थे। मंगल ग्रह पर अभी अध्ययन कर रहे मार्स क्यूरोसिटी रोवर में 17 कैमरे लगे हैं। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के जस्टिन मेकी ने बताया कि कैमरे की तकनीक में लगातार सुधार हो रहा है। यह कम लागत पर मिशन की क्षमता बढ़ाने में मददगार है।
अगस्त में नासा ने बताया था कि मार्स रोवर 2020 रोवर का मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह पर सैकड़ों-हजारों साल पहले रहे जीवन (बायो सिग्नेचर) का पता लगाना है। इस तकनीक को स्पैटियली रिजॉल्व बायो-सिग्नेचर एनालिसिस का नाम दिया गया है। जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में मंगल मिशन के उप प्रमुख केन विलिफोर्ड ने बताया था कि इस अभियान में एक्स-रे के अलावा रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
गौरतलब है कि नासा के क्यूरोसिटी रोवर ने इसी साल लाल ग्रह पर अपने खोज अभियान के पांच साल पूरे किए हैं। माउंट शार्प के पास उतरने के बाद से वह काफी समय पहले रही झीलों के बारे में छानबीन कर रहा है। पांच अगस्त 2012 को कैलिफोर्निया स्थित नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने क्यूरियोसिटी से पहली तस्वीरें हासिल की थी।