जीका से निपटने के लिए भारत की यह उपलब्धि पूरे टीके का रूप ले पाती है या नहीं, यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन यह पहली बार हुआ है कि कोई भारतीय कंपनी पश्चिमी देशों की दवा कंपनियों को उनके ही खेल में हराने के लिए फुर्तीली और दूरदर्शी साबित हुई है। अब हमें यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि पेटेंट की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है क्योंकि इस समय गेंद पूरी तरह भारत के पाले में नजर आ रही है।
- भाषा (पीटीआई)
भारत का जीका जैव तकनीकी क्षण संयोग से उसी समय आया है, जबकि देश जैव तकनीक विभाग की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस विभाग की स्थापना वर्ष 1986 में तकनीक प्रेमी दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में की गई थी। उस समय का सपेरों, हाथियों और हिंदू विकास दर वाला देश अब नवोन्मेष का केंद्र बन चुका है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में देश को एक बार फिर तकनीकी रूप से दक्ष और विज्ञान प्रेमी नेता मिला है, जिन्होंने मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी बड़ी चुनौतियां पेश की हैं।