पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) से जुड़ी कथित अनियमितताओं के मुद्दे पर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का बचाव करते हुए शुक्रवार को कहा कि जब तक इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक किसी पर जिम्मेदारी थोपी नहीं जा सकती।
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी जनता दल (सेक्यूलर) के वरिष्ठ नेता ने राज्यसभा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) से जुड़ी कथित अनियमितताओं, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की ‘नाकामी’ और पेपर लीक से जुड़े मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों पर यह आरोप भी लगाया कि वे इस मामले में सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
इसी मुद्दे पर हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब आधे घंटे के भीतर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा आरंभ हुई तो विपक्षी सदस्यों ने एक बार फिर इस मुद्दे पर हंगामा आरंभ कर दिया। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुधांशु त्रिवेदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे थे।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच देवगौड़ा ने कहा कि सभी वरिष्ठ नेता नीट के मुद्दे को सदन में उठाना चाहते हैं क्योंकि इससे लाखों छात्र प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही फैसला ले लिया है और इसकी जांच भी शुरु कर दी गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जांच पूरी नहीं हुई है और दो-तीन राज्यों में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कसी का पक्ष नहीं ले रहा। जहां तक नीट परीक्षा की बात है तो जो हुआ है वह गलत हुआ है। लेकिन अभी आप जिम्मेदारी तय नहीं कर सकते हैं... सरकार ने सही फैसला लिया है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, संबंधित मंत्री जिम्मेदारी नहीं ले सकते... और आप अनावश्यक रूप से सरकार की छवि को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। मैं सहमत नहीं हूं।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होगी तो उस वक्त विपक्षी सदस्य इस मुद्दे को उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती किसी पर जिम्मेदारी नहीं थोपी जा सकती।
विपक्षी सदस्यों के आचरण पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया है। उन्होंने कहा, ‘‘जांच हो रही है। रिपोर्ट आने तक मंत्री या सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती। दोषियों की पहचान के बाद ही र्कारवाई हो सकती है।’’
नीट में हुई अनियमितताओं के मुद्दे पर नियम 267 के तहत सभापति जगदीप धनखड़ को कुल 22 नोटिस मिले थे जिनमें नियत कामकाज स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की गई थी। अपनी मांग को लेकर विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे।
धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र की बैठक को संबोधित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा है कि सरकार पेपर लीक की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज के तरीके में व्यापक सुधार की दिशा में काम कर रही है।
धनखड़ ने कहा कि चूंकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा आज ही आरंभ होनी है, लिहाजा सदस्य इस मौके का लाभ उठाकर नीट से जुड़ी चिंताओं पर अपनी बात रख सकते हैं। यह कहते सभापति ने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों का हंगामा और शोरगुल और भी तेज हो गया।