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गरीबी में धंस चुकी दादा की बूढ़ी आंखों को है स्टार क्रिकेटर पोते का इंतजार

भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों में शुमार जसप्रीत बुमराह ने टी-20 और चैम्पियन ट्राफी में बेहतर प्रदर्शन किया है। शानदार गेंदबाजी से खेल प्रेमियों की जुबां पर बुमराह का नाम है, लेकिन उभरते खिलाड़ी के दादा मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं। वे उत्तराखंड के किच्छा में रहकर टैम्पो चलाने को मजबूर हैं।
गरीबी में धंस चुकी दादा की बूढ़ी आंखों को है स्टार क्रिकेटर पोते का इंतजार

भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों में शुमार जसप्रीत बुमराह ने टी-20 और चैम्पियन ट्राफी में बेहतर प्रदर्शन किया है। शानदार गेंदबाजी से खेल प्रेमियों की जुबां पर बुमराह का नाम है, लेकिन उभरते खिलाड़ी के दादा मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं। वे उत्तराखंड के किच्छा में रहकर टैम्पो चलाने को मजबूर हैं।

क्रिकेटर जसप्रीत बुमरा के दादा संतोख सिंह की स्थिति इतनी खराब है कि वे तीन महीने से मकान का किराया तक नहीं चुका सके हैं। उनकी दिली इच्छा अपने पोते जसप्रीत और पोती को गले लगाने की है। हालांकि एसडीएम ने संतोख को मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक मदद दिलाने की कवायद शुरु कर दी है।

दरअसल मूल रुप से अहमदाबाद निवासी संतोख सिंह का फेब्रीकेशन का बिजनेस था। वे अपने दो बेटों जसवीर सिंह और जसविंदर सिंह के साथ रहते थे। वक्त की मार पड़ी तो बिजनेश चैपट हो गया और वर्ष 2001 में बेटे जसवीर सिंह (जसप्रीत के पिता) का देहांत हो गया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर संतोख अपनी पत्नी और विकलांग बेटे को लेकर वार्ड नंबर 2 किच्छा आकर रहने लगे। उन्होंने जसप्रीत, उसकी मां दलजीत और बहन को अहमदाबाद में ही छोड़ दिया। 84 साल के संतोख बताते हैं कि नवंबर 2006 में उन्होंने किच्छा में आकर आटो का धंधा शुरू किया था और चार आटो भी खरीदे थे। लेकिन ये बिजनेश भी कुछ समय बाद चैपट हो गया।

बताते हैं कि वर्ष 2010 में उनकी पत्नी का देहांत हो गया। जिसके बाद से ही वह अपने विकलांग बेटे जसविंदर के साथ किराये के कमरे में रहते हैं। आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से रोजी रोटी के लाले पड़ जाते हैं। कहते हैं कि अपने पोते को भारतीय टीम की ओर से टीवी में खेलते देखा तो गर्व से सीना चैड़ा हो गया।

वे कहते हैं कि उनकी उम्र भी हो गई है। ऐसे में उनकी ख्वाहिश है कि एक बार अपने पोते जसप्रीत और पोती को गले लगा लें। वहीं संतोख की खस्ता हालत की जानकारी होने पर एसडीएम नरेश दुर्गापाल ने उन्हें अपने पास बुलाकर जानकारी ली। बताया कि संतोख को आर्थिक मदद दिलाने के लिए कागजी कार्रवाई शुरु कर दी गई है।

डिब्बाबंद खाना खाने को मजबूर

संतोख सिंह बताते हैं कि जब उनकी पत्नी जिंदा थी तो वो ही खाना बना देती थी। उसके मरने के बाद खाना बनाने में दिक्कतें पेश आने लगी। तीन महीने से वह और उसका बेटा बाजार से डिब्बे वाला खाना मंगाकर पेट भर रहे हैं। वे उम्र ज्यादा होने की वजह से अब आटो नहीं चला पाते हैं, इसलिए उन्होंने एक चालक रखा है। लेकिन आर्थिक हालत इतनी खराब है कि मकान का किराया चुकाने को पैसा नहीं है। वहीं भुगतान नहीं होने पर उनका केबिल का कनेक्शन भी कटता रहता है।

भारतीय टीम का चमकता चेहरा है जसप्रीत

वर्तमान में जसप्रीत बुमरा भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज हैं। उसने अपनी गेंदबाजी के दम पर कईं मैचों में अपनी टीम को जीत दिलाई है। वे आईसीसी रेकिंग की टॉप 5 सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। दादा संतोख सिंह को फक्र है कि जसप्रीत देश के लिए उम्दा खेल रहा है।

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