सर्च इंजन गूगल ने गुरुवार को अपने होमपेज पर एक खास डूडल बनाया है। गूगल ने ये डूडल अमेरिका की एनेस्थिसियॉलॉजिस्ट डॉक्टर वर्जीनिया ऐपगार के 109वें जन्मदिन के मौके पर बनाया है। वर्जीनिया ऐपगार को 'ऐपगार स्कोर' (Apgar Score) बनाने के लिए जाना जाता है। 'ऐपगार स्कोर' के जरिए नवजात शिशु के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियों का पता लगाया जाता है।
गूगल ने अपने इस डूडल में डॉक्टर वर्जीनिया को एक लेटर पैड और पेन पकड़े हुए दिखाया गया है, जिसमें वह डूडल में बने एक नवजात शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नोट कर रही हैं। गूगल द्वारा होमपेज पर बनाया गया रंग-बिरंगा डूडल देखने में बहुत ही सुंदर और दिल को छू लेने वाले है।
यहां पढ़ें डॉक्टर वर्जीनिया ऐपगार के बारे में
वर्जीनिया ऐपगार का जन्म 7 जून 1909 को हुआ था। उनका शुरुआती जीवन अमेरिका के न्यू जर्सी में बीता। उनका परिवार संगीत का काफी शौकीन था। उनके परिवार में आई कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते उनकी रुचि मेडिसिन और साइंस की तरफ हो गई। उन्होंने 1949 में सर्जरी में अपनी पढ़ाई पूरी की।
क्या है ऐपगार स्कोर
ए से एक्टिविटी, पी से पल्स, जी से ग्रिमेन्स, ए से एपिरेन्स और आर से रेस्पिरेशन।
एक्टिविटी(मसल टोन)
0 लंगड़ाहट, कोई गतिविधि नहीं
1 हाथ और पाँव में कुछ मुड़ाव
2 एक मिनट में कम से कम 100 धड़कन
धड़कन
0 कोई धड़कन नहीं
1 एक मिनट में 100 से कम धड़कन
2 एक मिनट में 100 धड़कन
दिखावट (रंग)
0 बच्चे का पूरा शरीर नीले सिलेटी या पीले रंग का
1 शरीर में अच्छा रंग साथ में हाथ और पाँव में नीला सा रंग
2 हर जगह अच्छा रंग
सांस लेना
0 सांस नहीं ले रहा है
1 धीमे रो रहा है, अनियमित सांस लेना
2 अच्छी तरह से रोना, और सांस भी नियमित होनी
डॉक्टर वर्जीनिया प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फिजिशियंस एंड सर्जंस में प्रोफेसर बनने वाली पहली महिला थीं। यह उपलब्धि 1949 में उनके खाते में जुड़ी। डॉक्टर ऐपगार और उनके साथियों ने 1950 के दौरान अमेरिका में शिशु मृत्यु दर के बढ़ने के दौरान कई हजार नवजात बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में पता लगाया। 1960 तक, किसी बच्चे के पैदा होने के 24 घंटे के अंदर उसके स्वास्थ्य का पता लगाना बेहद आसान हो गया।
'इज माय बेबी ऑल राइट?’ किताब लिखने में दिया अपना योगदान
1972 में डॉक्टर वर्जीनिया ने 'इज माय बेबी ऑल राइट?’ नाम से एक किताब लिखने में अपना योगदान दिया। इस किताब में जन्म के दौरान होने वाली समस्याएं और उनके समाधान को स्पष्ट किया गया है। 1974 में उनकी मृत्यु हो गई।