उत्तर प्रदेश में एक मुस्लिम महिला ने सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल पेश की है। कानपुर में इस महिला ने भाईचारे का नया अध्याय लिखते हुए प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ रामायण को उर्दू में लिख दिया। डॉक्टर माही तलत सिद्दीकी नाम की ये महिला कानपुर के प्रेमनगर इलाके में रहती हैं।
डेढ़ साल का लगा समय
माही तलत सिद्दीकी ने हिंदुओं के प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ रामायण को उर्दू में लिखकर एक बार फिर देश की गंगा-जमुनी तहजीब का परिचय दिया है। डॉ. माही का कहना है कि रामायण को हिंदी से उर्दू में लिखने के दौरान उन्हें डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त लगा। हिंदी से उर्दू अनुवाद के दौरान उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि कहीं से भी हिंदी भाषा वाले रामायण के भावार्थ से छेड़छाड़ न हो।
इस वजह से उर्दू में लिखी रामायण
कानपुर के प्रेमनगर की निवासी डॉक्टर माही तलत सिद्दीकी ने रामायण की रचना करते हुए सभी समुदायों में आपसी मेल-जोल की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि वह चाहती थीं कि हिंदू समुदाय के अलावा मुस्लिम समुदाय को भी रामायण की अच्छी बातों के बारे में पता चले, इसी वजह से उन्होंने रामायण को उर्दू में लिखने की सोची।
रामायण लिखने के बाद तनाव से मुक्ति और शांति का अहसास हुआ
तकरीबन दो साल पहले कानपुर के बद्री नारायण तिवारी ने डॉ. माही तलत को रामायण की एक प्रति सौंपी थी। इसी के बाद उन्होंने रामायण को उर्दू भाषा में लिखने की ठान ली। डॉ. तलत का कहना है, 'बाकी धर्मग्रन्थों के पवित्र शब्दों की तरह रामायण भी हमें शांति और भाईचारे का संदेश देता है। यह बहुत ही खूबसूरत तरीके से लिखा गया है। इसे उर्दू में लिखने के बाद मुझे तनाव से मुक्ति और शांति का अहसास हो रहा है।'
एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करना जरूरी: माहीतलत
माही का कहना है कि समाज में कुछ लोग धार्मिक मुद्दों को भड़काकर हिंसा फैलाते हैं लेकिन कोई भी धर्म हमें एक-दूसरे से नफरत करना नहीं सिखाता है। सभी धर्मों के लोगों को प्यार, सद्भाव और भाईचारे के साथ रहना चाहिए और एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करना भी जरूरी है।
हिंदी साहित्य में एमए हैं डॉ. माही
डॉ. माही ने हिंदी साहित्य में एमए (मास्टर ऑफ आर्ट्स) की डिग्री हासिल की है। उनका कहना है कि आगे भी वह अपनी लेखनी के जरिए समाज में परस्पर सौहार्द्र को बनाए रखने का काम करती रहेंगी।