मध्यप्रदेश सरकार ने खुली जेल की अवधारणा को लगभग पांच साल पहले होशंगाबाद में लागू किया था। होशंगाबाद में 17 एकड़ क्षेत्रफल में 32 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश की पहली खुली जेल बनाई गई थी। यहां 25 कैदियों के रहने के लिये आवास बनाये गये हैं। यहां कैदी आवास में अपने परिवार के साथ रहते हैं और दिन-भर शहर में अपना काम-काज कर वापस शाम ढले अपने परिवार के पास जेल में बने आवास में लौट आते हैं।
मध्यप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक :जेल: सुशोभन बैनर्जी ने पीटीआई-भाषा को बताया, कैदियों को जेल से रिहा होने के बाद पुन: समाज की मुख्यधारा में समरस होने का मौका देने के उद्देश्य से उनकी सजा के अंतिम एक-दो साल के लिये उन्हें इस खुुली जेल में रखा जाता है। खुुली जेल में कैदियों को भेजने के लिये पूरी एक चयन प्रक्रिया है। इन सभी मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही कैदियों का खुली जेल में रहने के लिये चयन किया जाता है।
उन्होंने कहा, इसमें विशेषतौर पर एेसे कैदियों का चयन किया जाता है जो कि आदतन अपराधी नहीं होते तथा 10-12 वर्ष की कैद के बाद उनकी सजा के अंतिम एक-दो साल ही शेष रहते हैं। बैनर्जी ने बताया, होशंगाबाद खुली जेल का प्रयोग सफल रहा है। अब सतना में एक और खुली जेल का निर्माण किया जा रहा है जो कि अगले साल तक चालू हो जायेगी। इसके बाद प्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, और उज्जैन में भी इस तरह की खुली जेल शुरू की जायेगी। प्रत्येक जेल में 25 कैदियों के परिवार सहित रहने की व्यवस्था रहेगी।
खुली जेल में रहने वाले मुकेश केवट का कहना है कि परिवार के भरण पोषण के लिए वह सब्जी का व्यवसाय करता है। खुली जेल में अन्य बंदी भी रोजगार से जुड़े हुए। कोई केंटीन चलाता है तो कोई फल बेचता है। आमदनी से परिवार का भरण पोषण किया जाता है। उसने कहा, हम खुश है कि हमें सजा के दौरान परिवार का साथ मिल रहा है और हमारे बच्चे पढ़ने भी जाते हैं।
होशंगाबाद खुली जेल के अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि होशंगाबाद खुली जेल में 25 बंदियों के रहने की व्यवस्था है। सात कैदियों की रिहाई के बाद फिलहाल यहां 18 बंदी अपने परिवार सहित रहे रहे हैं। भाषा एजेंसी