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मच्छरों को मारने की मांग से लेकर लाइफ पार्टनर ढूंढने तक, ये हैं कुछ अजीबो-गरीब याचिकाएं

कोर्ट का काम है कि लोगों की शिकायतों का निपटारा करे। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा जहां कहीं भी होता है, लोग...
मच्छरों को मारने की मांग से लेकर लाइफ पार्टनर ढूंढने तक, ये हैं कुछ अजीबो-गरीब याचिकाएं

कोर्ट का काम है कि लोगों की शिकायतों का निपटारा करे। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा जहां कहीं भी होता है, लोग उसे खटखटाते हैं कि हमारी सुन लो। सुप्रीम कोर्ट भी उनकी सुनता है। उसके पास दिन-रात तरह-तरह के केस आते हैं। लेकिन कोर्ट तब क्या करे जब कोई घर में मच्छरों के काटने से परेशान हो और मुंह उठाकर चला आए और कहे- माई लॉर्ड, मच्छरों ने नाक में दम कर रखा है। उन्हें मारने का आदेश दे दो। माई लॉर्ड इस पर क्या कहेंगे? यही कि भइया ये काम हमारे बस का नहीं। भगवान ही कर सकते हैं।

ऐसा ही एक केस सच में सुप्रीम कोर्ट में हुआ है। एक याचिका में कहा गया कि देश से मच्छरों को खत्म करने का आदेश दे दीजिए।

इस पर जस्टिस मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘हम सभी के घर में जाकर यह नहीं कह सकते कि वहां कोई मच्छर या मक्खी है और उसे हटाइए। आप हमसे जो करने के लिए कह रहे हैं, वो सिर्फ ईश्वर ही कर सकता है। हमसे वो काम करने को नहीं कहें, जो केवल भगवान कर सकते हैं। हम भगवान नहीं हैं।'

जाहिर है किसी भले आदमी ने सोचा होगा कि इससे हमारे साथ-साथ जनहित भी हो जाएगा लेकिन उसकी सुनी ना गई। इतने 'गंभीर' और 'गहरे' विषय पर कोर्ट या किसी बड़ी संस्था तक पहुंचने वाला ये अकेला मामला नहीं है। दूसरी संस्थाओं में भी ऐसी अजीबोगरीब चीजें पूछी गई हैं।

एक नजर डालिए तो जरा-

-    2010 में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली यानी एमसीडी में एक आरटीआई डाली गई, जिसमें पूछा गया कि हमें एमसीडी के अधिकारियों की तंबाकू खाने की आदत की तफ्सील से जानकारी दी जाए। 

-    2014 में इलेक्शन कमीशन से एक याचिका में पूछा गया कि ईवीएम में इस्तेमाल होने वाले चुनाव-चिन्ह ब्लैक एंड व्हाइट क्यों होते हैं, रंगीन क्यों नहीं? वैसे ये रोचक आइडिया है। 

-    पता नहीं किसी ने मौज लेने के लिए या व्यंग्य करने के लिए ऐसा किया लेकिन प्रधानमंत्री के ऑफिस में एक आरटीआई डाली गई जिसमें पूछा गया कि क्या अच्छे दिन आ गए हैं? हा हा हा। इस आदमी के सेंस ऑफ ह्यूमर की दाद देनी होगी।

-    2008 में उत्तर प्रदेश की एक लड़की ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पूछ लिया कि उसने जॉर्ज बुश को रक्षाबंधन पर जो लड्डू भेजे थे, वो अभी तक उन तक क्यों नहीं पहुंचे? उसने आयोग से जरूरी एक्शन लेने को भी कहा था। भावनाओं की बात है। कुछ कह नहीं सकते।

-    अक्टूबर, 2009 में एक शख्स ने आवासीय क्वार्टर्स में इस्तेमाल होने वाले पंखों और ट्यूबलाइट की संख्या पूछी थी। जरूर उसे बिजली की खपत की चिंता रही होगी। 

-    एक आदमी ने AXE डियो के उस एड के खिलाफ याचिका डाल दी, जिसमें दावा किया जाता है कि इस परफ्यूम के इस्तेमाल से लड़कियां आपकी तरफ खिंची चली आती हैं। उसने कहा कि मैंने डियो लगाकर घंटों इंतजार किया पर एक भी लड़की मेरी तरफ नहीं आई। हम्म्म्म। ठरकी आदमी।

-    मई 2010 में हैदराबाद के एक आदमी ने पूछा था कि आंध्र प्रदेश के गवर्नर एक दिन में कितनी बार मंदिर जाते हैं।

-    गुजरात के एक आदमी ने तमिलनाडु सरकार को याचिका डाली कि सरकारी जॉब वाली कोई लाइफ पार्टनर ढूंढने में उसकी मदद की जाए।

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