दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) के लिए वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू गई है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। शुरुआती रुझानों में भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर गई है। 70 सीटों वाली दिल्ली में भाजपा 48, आम आदमी पार्टी 22 सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।
जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से आप उम्मीदवार मनीष सिसोदिया ने हार स्वीकार करते हुए कहा, "पार्टी कार्यकर्ताओं ने अच्छा संघर्ष किया, हम सभी ने कड़ी मेहनत की। लोगों ने भी हमारा समर्थन किया। लेकिन मैं 600 वोटों से हारा हूं। मैं जीतने वाले उम्मीदवार को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वह विधानसभा क्षेत्र के लिए काम करेंगे।"
वहीं, हार के बाद पहली प्रतिक्रिया देते वक्त अवध ओझा ने कहा, "ये मेरी व्यक्तिगत हार है। इसकी जिम्मेदारी मैं ले रहा हूं। मैं लोगों से कनेक्ट नहीं कर पाया। एक महीने में मैं जितने लोगों से कनेक्ट किया उतने वोट मुझे मिले। मैं अगला चुनाव यहीं से लड़ूंगा। कल से फिर तैयारी शुरू करूंगा और लोगों से मिलूंगा।"
इस बीच, नयी दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक एवं दो बार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हरा दिया है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में अपनी ‘‘जीत’’ का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली की जनता को दिया। हालांकि, निर्वाचन आयोग (ईसी) ने अभी तक नयी दिल्ली सीट से विजेता की घोषणा नहीं की है। आप नेता मनीष सिसोदिया और अवध ओझा भी अपनी-अपनी सीटों से हार गए हैं। जबकि सीएम आतिशी को जीत मिली है।
दूसरी तरफ, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी(आप) को शराब नीति और पैसे पर ध्यान केंद्रित करने के कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तथा वह लोगों की निस्वार्थ सेवा करने के अपने कर्तव्य को समझने में विफल रही। वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हजारे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘शराब नीति के मुद्दे के साथ पैसा आया और वे उसमें डूब गए। आम आदमी पार्टी की छवि खराब हुई। लोगों ने देखा कि वह(अरविंद केजरीवाल) पहले स्वच्छ चरित्र की बात करते हैं और फिर शराब नीति की।’’ केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना 2012 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद हुई थी।
अन्ना आंदोलन से नेता के रूप में उभरे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 2015 में 67 सीट जीतकर सरकार बनाई और 2020 में 62 सीट जीतकर सत्ता में धमाकेदार वापसी की थी। इसके पहले 2013 के अपने पहले चुनाव में आप ने 31 सीट जीती थीं लेकिन वह सत्ता से दूर रह गई थी। बाद में कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार सत्ता की अग्रसर भाजपा 2015 के चुनाव में सिर्फ तीन सीट पर सिमट गई थी जबकि 2020 के चुनाव में उसके सीट की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी।
वैकल्पिक और ईमानदार राजनीति के साथ भ्रष्टाचार पर प्रहार के दावे के साथ राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को इस चुनाव से पहले कई आरोपों का भी सामना करना पड़ा और उसके कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा। भाजपा ने शराब घोटाले से लेकर ‘शीशमहल’ बनाने जैसे आरोप लगाकर केजरीवाल और आप के कथित भ्रष्टाचार को इस चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इन विषयों पर लगातार हमले किए।
दिल्ली में कितना हुआ मतदान?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस बार 60.54% मतदान हुआ।
सबसे ज्यादा मतदान: नॉर्थ ईस्ट दिल्ली (66.25%)
सबसे कम मतदान: साउथ ईस्ट दिल्ली (56.40%)