कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का आज तड़के निधन हो गया। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद श्री पटेल को गुरुग्राम के वेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद भरोसेमंद माने जाते रहे हैं। वे कई मौकों पर संकट की घड़ी में पार्टी के लिए तारणहार साबित हुए हैं। 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में कांटेदार जंग हुई थी। इस दौरान पटेल ने कैसे कामयाबी पाई थी यह जानना काफी दिलचस्प है। जानिए, वो किस्सा...
साल 2017 में गुजरात में विधानसभा चुनाव के करीब ही राज्यसभा का चुनाव भी हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के दिल्ली की सियासत में आने के बाद यहां पहला चुनाव था, लिहाजा हर किसी की निगाहें इसपर टिकी थीं।
यहां तीन सीटों पर यहां चुनाव हुआ था, जिसमें दो पर भाजपा की जीत पक्की मानी जा रही थी और तीसरी पर पेच फंसा था। इसी तीसरी सीट पर ही कांग्रेस के नेता अहमद पटेल प्रत्याशी थे और फिर भाजपा ने उनके सामने अपना एक उम्मीदवार खड़ा कर दिया। बीजेपी ने अहमद पटेल के मुकाबले कांग्रेस से ही आए बलवंत राजपूत को मौका दिया, जिसने 45 वोटों की जंग को रोमांचक कर दिया। मगर कांग्रेस के लिए चिंता का कारण यह भी था कि चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कई विधायकों ने राज्य में इस्तीफा दिया था, जिससे पार्टी कमजोर हुई थी। लिहाजा भाजपा की तरफ से अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में मात देने की योजना बनाई गई और इसे लागू करने के लिए खुद अमित शाह वहां पर उपस्थित रहे।
वोटिंग से पहले कांग्रेस के विधायकों को रिजॉर्ट में रखा गया। वहीं मतदान से पहले कांग्रेस को एनसीपी-जदयू ने झटका दिया, तो कांग्रेस के पास केवल 44 का ही आंकड़ा बचा और उसमें से भी एक कांग्रेस विधायक ने क्रॉस वोटिंग कर दी। मगर इसी दौरान कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि कांग्रेस के दो विधायकों ने अपना मत डालने के बाद बूथ के बाहर मौजूद अमित शाह को विक्ट्री साइन दिखाया था। इसी पर विवाद पैदा हुआ और कांग्रेस पार्टी आधी रात को ही चुनाव आयोग पहुंच गई। कांग्रेस की अपील थी कि इन दो विधायकों के वोट रद्द कर दिए जाएं, तो प्रत्युत्तर में बीजेपी ने अरुण जेटली की अगुवाई में तब भारी भरकम टीम को चुनाव आयोग में भेजा। घंटों तक दोनों ही दलों की टीम का चुनाव आयोग में आना जाना लगा रहा, मगर लगभग 12 बजे के बाद चुनाव आयोग ने अंतिम निर्णय सुनाया और दोनों विधायकों के मत को रद्द कर दिया। इसी के साथ वोटों की कुल संख्या 176 से घटकर 174 हुई थी और जीत के लिए 43.51 वोट चाहिए थे। और आखिरकार रात को डेढ़ बजे के बाद वोटों की गिनती शुरू हो पाई और अहमद पटेल ने जीत हासिल की।
अहमद पटेल को कांग्रेस पार्टी का चाणक्य माना जाता रहा है जबकि भाजपा में चाणक्य अमित शाह को माना जाता है। ऐसे में पहले गुजरात के राज्यसभा चुनाव और फिर राज्य का विधानसभा चुनाव दोनों ही में 2017 में इन दो बड़े नेताओं में कांटे की जंग देखने को मिली थी। राज्यसभा चुनाव में तो अहमद पटेल ने बीजेपी की योजना को नाकाम कर दिया था और जीत हासिल कर ली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में जोरदार मुकाबला देने के बाद भी कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पाई थी।