आखिरकार नीतीश कुमार को शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी से इस्तीफा लेना हीं पड़ा। प्रोफेसर नियुक्ति घोटाले में आरोपित मेवालाल चौधरी के शिक्षा मंत्री बनने के बाद हीं विपक्षी पार्टियों ने कड़े रूक अख्तियार कर लिए थे। लागातार राजद और तेजस्वी यादव की तरफ से मेवालाल को लेकर बयान आ रहे थे। विपक्ष की तरफ से नीतीश कुमार और मेवालाल चौधरी पर सवाल उठ रहे थे। वहीं, लोग भी सोशल मीडिया पर तंज कस रहे थे। अब नीतीश बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। मेवालाल के पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद नीतीश ने इस्तीफा मांग लिया।
मेवालाल चौधरी ने तारापुर विधानसभा से दूसरी बार जीत दर्ज की है। वो 2015 तक भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। इसी दौरान उन पर प्रोफेसर नियुक्ति मामले में घोटाले का आरोप लगा और 2017 में मामला दर्ज किया गया। उनकी पत्नी की मौत 2019 में हो गई, जिसको लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। अब इसकी जांच कराने की मांग की जा रही है। वो इस वक्त अंतरिम जमानत पर बाहर हैं।
साल 2016 के जून में तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कई नेताओं की शिकायत के बाद एक जांच कमेटी का गठन किया था। इन नेताओं में बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी और हम प्रमुख नेता जीतन राम मांझी शामिल थे। उसके बाद नवंबर 2016 में जस्टिस महफूज आलम ने इसको लेकर अपनी जाँच रिपोर्ट सौंपी।
1980 में मेवालाल चौधरी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से पीएचडी की। उन पर कई धाराओं में एफआईआर दर्ज हैं। वीसी रहने के दौरान भवन निर्माण और नियुक्ति में अनियमितता को लेकर उन पर आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120(बी) के तहत मामला (केस नं 35/2017) दर्ज है। उनके मंत्री बनाए जाने के बाद हीं पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने उनकी पत्नी की मौत के मामले में एसआईटी गठित कर जांच करान की मांग की है।
जब वो वीसी पद से 2015 में रिटायर हुए तो वो तारापुर से विधायक चुने गए। लेकिन साल 2017 में नियुक्ति अनियमितता को लेकर जब सबौर थाने में मामला दर्ज हुआ तो जेडीयू ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।