सहयोगी दलों के रवैये के कारण संकट में घिरी भाजपा नेताओं को नहीं सूझ रहा है कि वह क्या करें। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस सौदेबाजी से भाजपा के सामने बड़ा संकट है कि कैसे सीटों का बंटवारा हो। जिस तरीके से सहयोगी दलों का रवैया है उससे जनता के बीच गलत संदेश जाएगा।
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ रहे लोजपा और रालोसपा ने विध्ाानसभा चुनाव से पहले ही तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक यह सारी लड़ाई राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भाजपा के साथ आने के कारण हुई है। रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान चाहते थे कि भाजपा राज्य में कोई नया सहयोगी न बनाए। लेकिन भाजपा राज्य में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर समझौता करने को आतुर नजर आ रही है। ऐसी स्थिति सहयोगी दलों को लगा कि उनकी उपेक्षा हाे रही है।
उधर उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर भाजपा के सामने संकट खड़ा कर दिया। यह संकट तब और बढ़ गया जब राजद ने भी कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद के काबिल बता दिया। भाजपा नेता सीपी ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के वह भी उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसे में अब भाजपा सहयोगी दलों के अलावा अपनों से ही संकट में घिरी नजर आ रही है।