हरियाणा में भाजपा से सीटों को लेकर गठबंधन सिरे न चढऩे के बाद शिरोमणि अकाली दल द्वारा अपने पुराने साथी इनैलो के साथ चुनावी तालमेल करके प्रदेश के चुनावी समर में उतरने व शिअद के अध्यक्ष व पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को लेकर की जा रही तीखी टिप्पणियों के बाद जहां अब हरियाणा में भाजपा व शिअद में टकराव जैसी स्थिति तो बनी ही है वहीं इस टकराव का असर पड़ोसी राज्य पंजाब में भी देखने को मिल सकता है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक राजग के घटक दल के रूप में शिअद पिछले लंबे समय से पंजाब में लोकसभा व विधानसभा चुनाव भाजपा से गठबंधन के तहत लड़ रहा है और हरियाणा में भी शिअद ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था,मगर विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन जिस तरह बनने से पहले बिखर गया और रिश्तों में खटास आ गई, उसका असर कहीं न कहीं पंजाब में इन दोनों दलों के गठबंधन पर भी पड़ सकता है।
इसी वर्ष मई माह में हुए लोकसभा चुनाव दौरान पंजाब की कुल 13 सीटों पर भाजपा-शिअद ने मिलकर चुनाव लड़ा था और शिअद 10 व भाजपा ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे इनमें से भाजपा जहां अपने हिस्से आई 3 सीटों में से 2 पर विजयी हुई तो वहीं कुल 10 सीटों पर चुनाव लडऩे वाले शिअद को केवल 2 सीटों सुखबीर बादल व उनकी पत्नी हरसिमरत कौर की जीत के रूप में ही संतोष करना पड़ा। उस समय भी सियासी गलियारों में इन चर्चाओं ने जन्म ले लिया था कि यह परिणाम भाजपा हाईकमान को बेहद अखरे और पार्टी पर्यवेक्षकों ने भी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपते हुए इस गठबंधन पर पुर्न विचार करने का अनुरोध किया है।
इस रिपोर्ट को लेकर हाईकमान ने पर्यवेक्षकों के अनुरोध को फिलहाल टाल दिया और उसी दौरान हरियाणा में विधानसभा चुनावों की गतिविधियों ने जोर पकड़ लिया तो यह मामला एकबारगी लटक भी गया। यही नहीं प्रदेश में हो रहे इस विधानसभा चुनाव के शुरूआती दौर में लग भी यही रहा था कि संभवत: शिअद व भाजपा यह चुनाव मिलकर लड़ेंगे लेकिन बताया गया है कि सीटों को लेकर जहां बातचीत सिरे नहीं चढ़ रही थी तो इसी बीच शिअद के एकमात्र विधायक बलकौर सिंह को भाजपा ने उसे अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
इस कारण शिअद व भाजपा में खटास पैदा हो गई और इसके जवाब में खुद सुखबीर सिंह बादल ने भाजपा के इस कदम को गठबंधन धर्म के खिलाफ बताया। यही नहीं शिअद ने इसका जवाब कालांवाली क्षेत्र से पिछली बार भाजपा टिकट पर चुनाव लडऩे वाले राजेंद्र देसूजोधा को शिअद में शामिल करके उसे बलकौर सिंह के खिलाफ मैदान में उतार दिया।