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पश्चिम बंगाल चुनाव: नड्डा से लेकर शाह तक की रैली में कुर्सियां खाली, क्या भाजपा के हार के हैं संकेत?

पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक बिकने वाली बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका ने बुधवार को राष्ट्रीय स्तर के...
पश्चिम बंगाल चुनाव: नड्डा से लेकर शाह तक की रैली में कुर्सियां खाली, क्या भाजपा के हार के हैं संकेत?

पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक बिकने वाली बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका ने बुधवार को राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं द्वारा संबोधित की गई रैलियों के दौरान खाली कुर्सियों को दिखाते हुए एक पन्ने में चार तस्वीरों को छापा। खाली पड़ी कुर्सियों ने वास्तविक तौर पर पश्चिम बंगाल चुनाव में एक बहस को छेड़ दिया है। राजनीतिक पंडितों ने पूछ डाला है कि क्या ममता बनर्जी शासन को पटखनी देने की उम्मीद पाले बैठी भाजपा ने उस गति को खो दिया है जिसमें वो मस्त थी। 

पिछले कुछ दिनों में देखें तो सल्बोनी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और पश्चिम मिदनापुर जिले के गोल्टोर में राजनाथ सिंह, पूर्वी मिदनापुर जिले के एगरा में नितिन गडकरी ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरुलिया, बाकुरा और पश्चिम मिदनापुर में रैलियों को संबोधित किया। जबकि बांकुड़ा जिले के बिशुनपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैली को संबोधित किया है। लेकिन, इन दिग्गजों की जनसभा में बहुत कम उपस्थिति देखने को मिला है।  

खाली पड़ी कुर्सियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुईं है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों ने भी वामपंथी दलों की तरह उन्हें सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसके जरिए भाजपा विरोधियों ने सत्ता के सपने देख रही पार्टी को  संभावनाओं के बारे में बताया है। इसे बंगाली मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल दोनों में रिपोर्ट की गई है।

यहां तक कि झारग्राम जिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली आयोजित की गई,जिसमें बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया। शाह कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचे और पार्टी ने उनके हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी होने का हवाला दिया। उसके बाद शाह ने वर्चुअल स्पीच दिया। टीएमसी ने भी जल्दी में सवाल उठाया कि खाली पड़ी कुर्सियों की वजह से शाह के हेलिकॉप्टर की लैंडिंग नहीं हुई। विरोधियों ने दोनों को जोड़ते हुए भाजपा पर सवाल उठाए।

तो क्या बीजेपी हार गई है? ये सवाल अब जोरों से तूल पकड़ने लगे हैं। क्योंकि, एक तरफ बंगाल के जिलों में रैलियों में लोगों की अनुपस्थिति और दूसरी तरफ पार्टी के भीतर टिकट को लेकर असंतोष, दो मोर्चों पर भाजपा संघर्ष कर रही है। वहीं, भाजपा के कार्यकर्ता राष्ट्रीय नेतृत्व की पसंद से उतारे जा रहे उम्मीदवारों को लेकर कई जिलों में प्रदर्शन किया है। विशेष रूप से जो अन्य दलों से आए थे, और यहां तक कि पार्टी कार्यालयों में भी कार्यकर्ताओं द्वारा बर्बरता की गई है।

हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता इन बातों से सहमत नहीं हैं। पार्टी की बंगाल इकाई के एक वरिष्ठ नेता नाम न बताते हुए कहते हैं, “कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के बीच शिकायतें और उनका विरोध करने का तरीका एक अनुशासित पार्टी में होता है, इसका स्वागत है जैसा कि हमारा है। हालांकि, भाजपा के टिकट पाने को लेकर लोगों का उत्साह भी दर्शाता है, क्योंकि सभी का मानना है कि पार्टी इस बार सत्ता में आ रही है।” 

भाजपा के बंगाल युवा विंग के प्रमुख और लोकसभा सांसद सौमित्र खान कहते हैं, “टीएमसी कई क्षेत्रों में लोगों को आतंकित कर रही थी और लोगों को भाजपा की रैलियों में शामिल होने से रोकने के लिए धमकियों दी जा रही थी।“ उन्होंने खुद का हवाला देते हुए कहा कि कैसे उन्हें 2019 में अपने निर्वाचन क्षेत्र बिश्नुपुर में चुनाव प्रचार करने से रोक दिया गया था।

कोलकाता के रवीन्द्र भारती यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक बिस्वनाथ चक्रवर्ती के अनुसार पश्चिम बंगाल में रैलियों में मतदाताओं की अनुपस्थिति या कम भीड़ से ये नहीं तय किया जा सकता है कि चुनावी रूख किस दिशा में है। इससे लोगों के मूड को नहीं टटोला जा सकता है।

बिल्कुल कई ऐसे उदाहरण हैं जो बड़े पैमाने पर रैली में लोगों की उपस्थिति के कोई राजनीति पार्टी खराब प्रदर्शन करती हैं। दूसरी ओर देखें तो 2019के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कुछ बूथों पर बढ़त बनाई थी जहां पार्टी के पास कोई एजेंट तक नहीं था।

फिर भी, भाजपा के एक वरिष्ठ राज्य नेता ने कहा कि वास्तव में पार्टी उम्मीदवारों को चुनने की जटिलताओं और अनिश्चितताओं के कारण धीमी पड़ रही है। भाजपा के राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा, "जिलों में नेताओं का एक वर्ग अपना सब कुछ नहीं दे रहा है।" टिकटों के हालिया वितरण के बाद भाजपा के पूर्व हुगली जिला इकाई के अध्यक्ष सुबीर नाग और पूर्व सेरामपुर जिला इकाई के अध्यक्ष भास्कर भट्टाचार्य, जो राज्य समिति के सदस्य थे, ने पिछले कुछ दिनों पहले पार्ट छोड़ दी।

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