जिसमें यह कहा गया था कि सांप्रदायिक जहर घोल रही ताकतों के खिलाफ यह सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है...और मुसलमानों एवं दूसरे अल्पसंख्यकों के बीच भय है। बोर्ड के दावे से असहमति जताते हुए सरेसवाला ने एजेंसी से कहा कि बोर्ड के लोगों को अपने मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए।
सरेसवाला के मुताबिक बोर्ड की बैठक में जिन मुद्दों को उठाया गया था उन पर और दूसरे सभी मुद्दों पर सरकार के साथ बातचीत होनी चाहिए। बोर्ड के कई सदस्यों ने उनसेे बात की है। अगर वे तैयार होंगे तो प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात कराने की पहल करूंगा। गुजरात के व्यवसायी सरेशवाला ने उन खबरों को भी गलत बताया कि जयपुर में पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के विरोध के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा, यह खबर गलत है। मैं वहां पांच मिनट के लिए गया था। जब ये सब बातें हुइ तो मैं वहां नहीं था। ऐसे में मुझे बैठक से बाहर किए जाने का सवाल ही कहां उठता है। वहीं बोर्ड के एक सदस्य कमाल फारूखी ने कहा कि यह सामान्य बैठक नहीं थी। बैठक में सिर्फ बोर्ड के सदस्यों को हिस्सा लेने की अनुमति थी। सरेशवाला सदस्य नहीं हैं और उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। कुछ सदस्यों ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि सरेसवाला प्रधानमंत्री के दूत के तौर पर बोर्ड की बैठक में पहुंच गए जबकि उन्हें नहीं बुलाया गया। बोर्ड के एक सदस्य के मुताबिक अगर सरेसवाला मुसलमानों के इतने हितैषी हैं तो प्रधानमंत्री की बजाय हिंदू संगठनों से भी बात करें कि मुसलमानों के प्रति इस तरह की आग न उगलें।
सरेशवाला के रवैये से नाराज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जफर सरेशवाला के रवैये से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य नाराज हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले सरेसवाला ने पर्सनल लॉ बोर्ड के उस प्रस्ताव का विरोध किया
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