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जयंती ने बीजेपी के इशारे पर छोड़ी कांग्रेस ?

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने क्या भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के कहने पर कांग्रेस छोड़ा?
जयंती ने बीजेपी के इशारे पर छोड़ी  कांग्रेस ?

अगर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मानें तो जयंती नटराजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के इशारे पर कांग्रेस छोड़ा। अगर यह आरोप सही हैं तो जयंती आने वाले दिनों में भाजपा में शामिल हो सकती हैं। लेकिन भाजपा नेता खंडन कर रहे हैं कि जयंती पार्टी में शामिल नहीं होंगी। नटराजन ने पिछले शनिवार को यह आरोप लगाते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था कि पर्यावरण मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान औद्योगिक परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी न दिए जाने के कारण उनका ‘‘तिरस्कार’’ किया गया, जबकि ऐसा उन्होंने राहुल गांधी से संवाद के परिप्रेक्ष्य में किया था।

जयंती ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कुछ महीने पहले पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि उन्हें राहुल गांधी से पर्यावरण मंजूरी पर खास निर्देश मिले थे इससे बड़ी परियोजनाएं खारिज कर दी गईं। जयंती की टिप्पणियों को लेकर भाजपा ने राहुल पर सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा हमला बोला था। जिसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि गरीबों और आदिवासियों के कल्याण में रुचि होने के कारण उनका जयंती के साथ संवाद हुआ था। राहुल ने कहा कि हमें पर्यावरण, गरीबों और आदिवासियों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए, मैं गरीबों, झुग्गी झोपड़ी वासियों और कमजोर तबके के लिए लडाई जारी रखूंगा। राहुल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से गरीब, आदिवासियों के हित में काम करती आ रही है और आगे भी करती रहेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह समाज के गरीबों और कमजोर तबकों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए राजनीति में आए हैं, न कि किसी व्यवसायी को लाभ पहुंचाने के लिए।

जयंती के इन आरोपों के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जिन फाइलों के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा गया है उन फाइलों की जांच कराई जाएगी। लेकिन कांग्रेस नेता इस बात को लेकर आशंकित है जिन परियोजनाओं को गरीब, आदिवासियों के हित के लिए रोका गया था उसको मौजूदा सरकार मंजूरी देकर गरीब, आदिवासियों का जीना मुश्किल कर देगी। दो दशक से अधिक समय से कांग्रेस से जुड़ी रही जयंती के इस फैसले को तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि राज्य में भाजपा को बड़े नेताओं की तलाश है और इस कड़ी में पहला नाम जयंती नटराजन का जुड़ने की संभावना है।

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