इस हादसे के बावजूद केरल के मंदिरों में आतिशबाजी पर रोक का कोई फैसला नहीं लिया जा सका और कोई भी राजनीतिक दल रोक के पक्ष में नहीं खड़ा हुआ तो इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति ही प्रमुख कारक है। इस नफे-नुकसान के आकलन के बीच राज्य के दोनों प्रमुख मोर्चों, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के साथ-साथ पहली बार सशख्त रूप से चुनाव मैदान में उतरे भाजपा नीत एनडीए ने अपने-अपने विद्रोही उम्मीदवारों पर बहुत हद तक अंकुश लगाने में कामयाबी हासिल कर ली है।
वाम मोर्चे में कुछ छोटे विद्रोह की चुनौतियां उठी थीं लेकिन पार्टी ने इन्हें निपटा लिया है। इसी प्रकार भाजपा नेता पी.पी. मुकुंदन ने तिरुवनंतपुरम जिले में विद्रोही उम्मीदवार के रूप में खड़े होने की धमकी दी थी। लेकिन नेतृत्व ने उन्हें मना लिया है। संयुक्त मोर्चे में तिरुवल्ला निर्वाचन क्षेत्र में केरल कांग्रेस (एम) के उम्मीदवार जोसफ एम पुतुश्शेरी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.जे. कुरियन को नाराजगी थी। यह विवाद भी हल हो चुका है।