"संबोधन से पहले लगे 'जय श्रीराम' के नारे, तब ममता ने दी तीखी प्रतिक्रिया"
भाजपा के 'जय श्री राम' के नारों ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मु्ख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीतिक रूप से फंसा दिया है। वहीं, इस मुद्दे को लेकर उनका गुस्सा पूर्वी राज्य में 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' के रूप में सामने आया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में पराक्रम दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान 'जय श्रीराम' के नारे लगने पर अपना भाषण देने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने उसी मंच से इस प्रकार की बातों का विरोध भी जताया और कहा कि किसी को बुलाकर अपमानित करना ठीक नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा इस बहाने अपनी सियासत चमकाने में जुट गई है। बीजेपी ने दावा किया है कि ममता बनर्जी ने राज्य के मुसलमानों को खुश करने के लिए 'जय श्रीराम' के नारों को अपमानजनक माना है। ममता बनर्जी अपने भाषण के दौरान तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "मुझे लगता है कि सरकार के प्रोग्राम का कोई डिग्निटी होना चाहिए। यह सरकारी प्रोग्राम है कोई पॉलिटिकल पार्टी का प्रोग्राम नहीं है। मैं आभारी हूं प्रधानमंत्री जी का, कल्चरल मिनिस्ट्री का कि कोलकाता में यह प्रोग्राम बनाया, लेकिन किसी को निमंत्रित करके उसको बेज्जत करना यह आपको शोभा नहीं देता। मैं कुछ नहीं कहने जा रही हूं। जय हिंद, जय बांग्ला।"
आपकों बता दें इस प्रोग्राम में प्रधानमंत्री और ममता बनर्जी दोनों ही शामिल हुए थे। यह नजारा राजनीतिक रूप से बहुत ही कम देखने को मिलता है। पश्चिम बंगाल में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि नारों का राजनीतिकरण किया गया हो। मई 2019 में उत्तर 24 परगना जिले के भाटपारा से गुजरते वक्त भी कुछ लोगों ने ममता के खिलाफ नारेबाजी की थी। तब भी ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई थी। भाजपा ने तब भी इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया था।
भाजपा का काम आसान करती ममता बनर्जी
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि का मानना है कि कि भाजपा 'जय श्रीराम' के नारों के माध्यम से बंगाल में अपने हिंदुत्व के एजेंडे को तेज कर रही है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख अपनी नाराजगी से भाजपा के एजेंडे को और धार मिल रही है। ममता इन नारों को नजर अंदाज भी कर सकती हैं, लेकिन, ममता अपना गुस्सा जाहिर कर भाजपा का काम और भी आसान कर रही हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "जय श्रीराम के नारे से स्वागत को ममता बनर्जी अपमान मानती हैं। ममता ने बहुत ही पवित्र मंच पर जय श्रीराम के नारे पर राजनैतिक एजेंडा सेट किया। अल्पसंख्यकों को खुश करने की तुष्टिकरण की नीति है। नेताजी की 125वीं जयंती के मंच जहां प्रधानमंत्री उपस्थित हो, वहां चुनाव को देखते हुए राजनैतिक एजेंडा सेट करने की हम निंदा करते हैं।"