मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और 14 अन्य मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद बिहार में नीतीश कैबिनेट का गठन हो गया है। अब विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। मंत्रिमंडल में कई पुराने चेहरे और कई नए को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन, कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनके कार्यकाल के दौरान उपजे हालात राज्य की बदइंतजामी से गहरा नाता रहा है। इनमें से एक नाम मंगल पांडे का है। मंगल पांडे नीतीश की पिछली सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री थे। इस बार भी उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है।
साल 2018 में बिहार की अघोषित राजधानी मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस एक्यूट सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार की वजह से 162 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस दौरान भी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल उठे थे। यहां तक की मंगल पांडे का एक वीडियो काफी विवादों में और सुर्खियों में रहा। वो बच्चों की हो रही मौत को लेकर आयोजित बैठक में मैच का स्कोर पूछते नजर आए। जिसके बाद उनकी जमकर किरकिरी हुई। उस तस्वीर को भी कोई नहीं भूल सकता जब डीएमसीएच यानी दरभंगा मेडिकल कॉलेज में सूअर और कुत्ते खुलेआम घुमते हुए कैमरे में कैद होते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान भी इस साल कई बच्चों की चमकी बुखार की वजह से मौतें हुई है। आउटलुक से बातचीत में मंगल पांडे ने कहा था कि वो इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि एक भी बच्चे की मौत इस बुखार की वजह से न हो। लेकिन, स्वास्थ्य व्यवस्था की माली हालत ने ऐसा नहीं होने दिया और इस बार भी बच्चों की मौत हुई। हालांकि, अच्छी खबर ये रही की आंकड़े कम रहें।
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है। राज्य की स्वास्थ्य सबसे लचर स्थिति में है। कोरोना महामारी के दौरान भी ये देखने को मिला था। नालंदा मेडिकल कॉलेज से कई ऐसी तस्वीरें आई थी जो मंगल पांडे की नुमाइंदगी और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को आईसीयू के मुहाने खड़े कर रहे थे। जिंदा व्यक्ति और मृत शरीर एक हीं वार्ड में पाए गए थे। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। यानी मंगल पांडे के कामकाज को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। लेकिन, एक बार फिर नीतीश सरकार ने उन पर भरोसा जताते हुए स्वास्थ्य का जिम्मा सौंप दिया है।