दरअसल आडवाणी ने जून 2013 में गोवा में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिरकत नहीं की थी। उस समय संभवत: नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की प्रचार समिति के प्रमुख के तौर पर पेश किए जाने के कदम से नाखुश थे। उनकी गैर-मौजूदगी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने कदम आगे बढ़ाते हुए मोदी को प्रचार समिति का अध्यक्ष नामित कर दिया था। इससे आडवाणी और भड़क गए और आठ जून को समाप्त हुई बैठक के बाद पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें पार्टी नेताओं ने इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाया था। मोदी के काफी करीबी माने जाने वाले शाह के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना दिया गया और उसके बाद से उन्होंने पार्टी के मामलों में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है।
सूत्र बता रहे हैं कि मोदी अब चाहते हैं कि नए लोगों के नए विचारों से पार्टी को आगे ले जाने की ऊर्जा मिले इसलिए पुराने लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस कार्यकारिणी में कई मुददों पर पार्टी के पुराने नेता चर्चा करना चाह रहे थे लेकिन उन मुददों को भी नजरअंदाज कर दिया गया।