नीतीश के अलावा तीन महिलाओं सहित 22 मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई।
नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले के कार्यकालों के दौरान कई श्रृंखलाबद्ध सुधार शुरू किये थे और छात्रों का पंजीकरण बढ़ाने, सड़कों और पुलों के निर्माण और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार पर जोर दिया था। एक बार उन्हें फिर इस कार्य को आगे बढ़ाना है।
इंजीनियर से राजनेता बने नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल तीन मार्च से 10 मार्च 2000 तक मात्र सात दिन के लिए था जब उन्हें बहुमत नहीं होने के चलते पद छोड़ना पड़ा। वह दोबारा 2005 में राजग नेता के तौर पर मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए।
नीतीश कुमार का तीसरा कार्यकाल 26 नवम्बर 2010 से शुरू हुआ जब उन्होंने चुनाव में राजग का नेतृत्व किया जिसने 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 206 सीटों के साथ दो तिहायी बहुमत प्राप्त किया। भाजपा से अलग होने के बाद उन्होंने बहुमत के लिए जरूरी 117 का जादुई आंकड़ा कांग्रेस और भाकपा की मदद से हासिल किया।
राजद से हाथ मिलाने के बाद हुए उपचुनाव में उनके समर्थन आधार में वृद्धि हुई। इसके साथ ही उन्होंने पिछले वर्ष के मध्य में राज्यसभा की दो सीटें भी जीती। यद्यपि जदयू के 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने 17 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। मोदी ने ट्वीट किया, बिहार का मुख्यमंत्री बनने पर श्री नीतीश कुमार को बधाई और शुभकामनाएं। समारोह में पूर्व प्रधानमंत्राी एच डी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगेाई तथा इनेलो नेता अभय चैटाला भी पटना में उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
नई चुनौतियों के साथ नीतीश ने ली शपथ
नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली इसके साथ ही उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। इस साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और अपनी पार्टी जदयू और सहयोगी दलों राजद, कांग्रेस और भाकपा का नेतृत्व करना है। ऐसे में उन्हें सभी के साथ समन्वय बनाकर काम करना होगा।
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