अरूणाचल प्रदेश जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू इकाई के छह विधायक के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते हीं बिहार की राजनीति उबाल पर है। अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बीजेपी को चेतावनी दी है। वहीं, इस बगावत के सुर को विपक्षी पार्टियां भूनाने और सरकार बनाने के लिए मौके की ताक में बैठी हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भले हीं राज्य से बाहर चारा घोटाले में सजायाफ्ता होकर रांची में हो लेकिन उनकी नजर इस वक्त बिहार की राजनीति और जेडीयू-बीजेपी में बढ़ रही दूरियों पर है। वो अपनी पार्टी राजद को इसका फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
ताजा सियासी हालातों को देखते हुए लालू यादव ने बिहार की बागडोर को अपने हाथों संभालने के लिए राजद का मास्टर प्लान बनाया है। दैनिक जागरण के मुताबिक इसके साथ ही राजद के सिपहसलारों को दो अलग-अलग मोर्चे पर तैनात किया गया है।
बुधवार को राजद ने दावा किया था कि जेडीयू के 17 विधायक उनके संपर्क में है। पार्टी के नेता श्याम रजक ने ये भी कहा था कि जल्द नीतीश की पार्टी में विद्रोह शुरू हो जाएगा। हालांकि, इसको लेकर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि ये सभी दावे बेबुनियाद है। ऐसी कोई बातें नहीं है।
जागरण के मुताबिक झारखंड से जुड़े राजद के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो मौजूदा हालात को लेकर लालू ने पार्टी के नेताओं को दो अलग-अलग मोर्चे पर लगाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी को जनता दल यूनाइटेड के शीर्ष नेताओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी व श्याम रजक जैसे नेताओं को बयानों के जरिए पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
लालू ने अपने पार्टी के नेताओं को इस बात की भी हिदायत दी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू पर सीधे राजनीतिक हमला करने से परहेज करें। दैनिक जागरण के मुताबिक रिम्स अस्पताल में लालू की सेवा में लगाए गए सेवादारों में से एक ने बताया है कि बातचीत में लालू प्रसाद यादव ने पार्टी के नेताओं को साफ तौर पर कहा है कि वो फिलहाल जदयू के खिलाफ किसी भी तरह का बयान देने से परहेज करें। वहीं बीजेपी के खिलाफ सवाल खड़े करने को कहा गया है।