इसलिए स्मृति की इस मंत्रालय में नियुक्ति को तब सुषमा स्वराज के जवाब के तौर पर देखा गया जिनके नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध नहीं थे। साथ ही यह भी माना गया कि एक युवा और आसानी से वश में आने वाला नेता जिसकी कोई विचारधारात्मक लाइन न हो, उसे इस मंत्रालय का प्रभार देने से स्कूली पाठ्यचर्या में आसानी से हिंदुत्व एजेंडे को शामिल किया जा सकेगा। आरएसएस के एक विचारक कहते हैं, हमारा एजेंडा मोदी जी के एजेंडे से मेल नहीं खाता। ऐसे में स्मृति की तैनाती को एक समझौते के रूप में देखा गया।
स्मृति ने इस मामले में अपने हिंदुत्व के संरक्षकों को निराश नहीं किया। उन्होंने स्कूली पाठ्यचर्या में वैदिश शिक्षा को शामिल कराया, तीसरी भाषा के रूप में केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की जगह संस्कृति की पढ़ाई शुरू करवाई, पाठ्यक्रमों के भारतीयकरण की प्रक्रिया शुरू की, आरएसएस के लोगों को महत्वपूर्ण पदो पर तैनाती दी, शिक्षक दिवस और क्रिसमस की छुट्टियों में हेरा-फेरी की कोशिश की और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को शाकाहारियों के लिए अलग मेस की व्यवस्था करने को कहा।
मगर एक साल के अंदर यह सब धरे रह गए और सप्ताह दर सप्ताह यह मंत्रालय गलत वजहों से खबरों में आने लगा। मंत्री के साथ एक काम चलाऊ दक्रतरी संबंध बनाने का प्रयास कर रहे संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के अनुसार, वह एक ही समय रक्षात्मक और प्रतिक्रियात्मक दोनों हैं और वह एक बुरी श्रोता भी हैं। उन्हें समझना चाहिए कि यह एक जटिल मंत्रालय है जिसमें आईआईटी, आईआईएम और यूजीसी जैसे कई बड़े संस्थान हैं जो बेहद शिक्षित लोगों द्वारा संचालित हैं। इनके साथ काम करने से पहले आपको बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। मंत्रालय के अधिकारी उनके, 'मैं सबकुछ जानती हूं वाले रवैये से भी आहत हैं फिर भले ही उन्हें विषय की पूरी जानकारी न हो।
एक कुलपति अपना सिर नोचते हुए कहते हैं, 'मुझे वह ताजी हवा का झोंका लगी थीं एनडीए-1 में उनके पूर्ववर्ती मुरली मनोहर जोशी भारत के अबतक के सबसे बुरे मानव संसाधन विकास मंत्री कहे जा सकते हैं। मगर अब मुझे महसूस हो रहा है कि स्मृति उन्हें कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रही हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी तो इतने खीजे हुए हैं कि वह अपने होम कैडर में वापस जाने की सोच रहे हैं। वह हंसते हुए कहते हैं, 'अपने अशिष्टता में पूरी तरह लोकतांत्रिक हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला व्याक्ति किसी बड़े संस्थान का प्रमुख है या विभाग का कोई अंडर सेक्रेटरी। अपने होम कैडर में जाने का आवेदन दे चुके एक अन्य संयुक्त सचिव कहते हैं, 'मंत्रालय के कर्मचारियों के साथ उनका व्यवहार असंसदीय की श्रेणी में आता है। पीएमओ को इस बारे में पता है। मंत्रालय छोड़ने वालों में सबसे ताजा नाम भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अमरजीत सिन्हा का है जो ग्रामीण विकास विभाग में गए हैं। पार्टी के वफादार लोग जो हिंदुत्व एजेंडे को फैलाने को लेकर उनकी तारीफ करते हैं वह भी मानते हैं कि उन्होंने जरूरत से ज्यादा लोगों से गलत व्यवहार कर डाला है। कुछ लोग तो और आगे बढक़र उनके लिए बुरी भविष्यवाणी करते हुए कहते हैं, उनकी नियुक्ति मनमानी और एकपक्षीय थी और उनकी बर्खास्तगी भी ऐसी ही होगी।