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नोटबंदी के समय पीएम मोदी के दावे और अब अरुण जेटली की सफाई, साफ दिखता है अंतर

आइए, 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए नोटबंदी के ऐलान और अब वित्त मंत्री द्वारा इसकी सफलता की घोषणा के अहम बिंदुओं से जानने की कोशिश करें कि पीएम मोदी के दावे और जेटली की सफाई में कितना अंतर है।
नोटबंदी के समय पीएम मोदी के दावे और अब अरुण जेटली की सफाई, साफ दिखता है अंतर

नोटबंदी को आर्थिक सुधारों की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताने वाली मोदी सरकार अब आरबीआई की ओर से जारी नोटबंदी के आंकड़ों को लेकर बचाव की मुद्रा में आ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगातार हमला बोल रही हैं। वहीं अब इस पर सरकार को भी सफाई देनी पड़ रही है। विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि जिस उद्देश्य को लेकर नोटबंदी की गई थी, उस लक्ष्य को पाने में सरकार नाकाम रही। जबकि अब वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि सरकार अपने लक्ष्य हासिल करने में सफल रही।

आइए, 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए नोटबंदी के ऐलान और अब वित्त मंत्री द्वारा इसकी सफलता की घोषणा के अहम बिंदुओं से जानने की कोशिश करें कि पीएम मोदी के दावे और जेटली की सफाई में कितना अंतर है।  

नोटबंदी का ऐलान और पीएम मोदी का उद्बोधन

8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को किए अपने संबोधन में नोटबंदी का ऐलान किया। इस दौरान उनके द्वारा कही गई महत्वपूर्ण बातें-

“पिछले दशकों में हम यह अनुभव कर रहे है की देश में भ्रष्टाचार और कला धन जैसी बीमारियों ने अपनी जड़े जमा लीं हैं और देश से गरीबी हटाने में ये भ्रष्टाचार, ये कला धन, ये गोरख धंधे सबसे बड़ी बाधा है।”

-“देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना ज़रूरी हो गया है। आज मध्य रात्रि यानि 8 नवम्बर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि ये मुद्राएँ कानूनन अमान्य होंगी। 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के जरिये लेन देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी।”

-“भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोट के कारोबार में लिप्त देश विरोधी और समाज विरोधी तत्वों के पास मौजूद 500 एवं 1,000 रुपये के पुराने नोट अब केवल कागज़ के एक टुकड़े के समान रह जायेंगे। ऐसे नागरिक जो संपत्ति, मेहनत और इमानदारी से कमा रहें हैं, उनके हितों की और उनके हक़ की पूरी रक्षा की जायेगी।”

-“हमारा यह कदम देश में भ्रष्टाचार, काला धन एवं जाली नोट के खिलाफ हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं, सामान्य नागरिक जो लड़ाई लड़ रहा है, उसको इससे ताकत मिलने वाली है।”

-“देश में कैश का अत्यधिक सर्कुलेशन का एक सीधा सम्बन्ध भ्रष्टाचार से है। भ्रष्टाचार से अर्जित कैश का कारोबार महँगाई पर बड़ा असर पैदा करता है। इसकी मार गरीबों को झेलनी पड़ती है। इस का सीधा प्रभाव गरीब और मध्यम वर्ग की खरीदने की शक्ति पर पड़ता है। आपका स्वयं का अनुभव होगा, जब मकान या जमीन खरीदते वक़्त आप से कुछ धन चेक में लेंगे और ज्यादातर धनराशी कैश में मांगी जाती होगी।”      

अरुण जेटली के बोल

विपक्ष के द्वारा नोटबंदी पर सरकार को आड़े हाथ लिए जाने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया से कहा, “सरकार का कहना है कि नोटबंदी के फेल हो जाने की बात करने वाले और उसकी आलोचना करने वाले कंफ्यूज हैं। ऐसे लोग नोटबंदी के पूरे उद्देश्य को समझ नहीं पा रहे हैं।” आइए, जानते हैं आरबीआई के द्वारा नोटबंदी के आंकड़े जारी होने के बाद जेटली की महत्वपूर्ण बातें-

-समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जेटली का कहना है कि ये किसी का पैसा जब्त करने का उद्देश्य नहीं था। बैंकिंग सिस्टम में पैसा आ जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पूरा पैसा वैध है। उन्होंने नोटबंदी का फायदा बताते हुए कहा कि इसका एक प्रत्यक्ष असर हुआ है कि डायरेक्ट टैक्स बेस बढ़ा है। उससे जीएसटी का प्रभाव भी बढ़ा है।

-जेटली का कहना था नोटबंदी के बाद उसके संबंध में कुछ लोग टिप्पणी कर रहे हैं कि नोटबंदी का एक मात्र उद्देश्य ये था कि लोग पैसा जमा ना कराएं और पैसा जब्त हो जाएगा। जिन लोगों ने जीवन में कभी काले धन के खिलाफ जंग नहीं लड़ी, वो शायद इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य समझ नहीं पाए। ये किसी का पैसा जब्त करने का उद्देश्य नहीं था।

-इसका उद्देश्य था कि टैक्स बेस बढ़े। इसका उद्देश्य था कि कालेधन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो। साथ ही व्‍यवस्‍था से जाली नोट अलग कर पाएं।

-इसका मकसद था लेस कैश व्यवस्था बनाना और डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देना।

-जेटली ने कहा कि इसका मध्यम और दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।

-उन्होंने कहा बैंकों में भारी मात्रा में धन जमा किया गया था, लेकिन सरकार के लिए यह कोई चिंता नहीं है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है कि औपचारिक व्यवस्था में ज्यादा धन आ गया है।

-नोटबंदी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम करना, डिजिटलीकरण करना, कर दायरा बढ़ाना और काले धन से निपटना था।

-नोटबंदी से अलगाववादियों को भी आर्थ‍िक चोट पहुंची है। आतंकवादियों के पास पैसे जब्‍त हुए हैं।

-जिन लोगों को काले धन से निपटने की कम समझ है वही बैंकों में आई नकदी को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं।

क्या है बहस?

दरअसल, आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के दौरान रद्द किये गये 1000 रूपये के संचालित नोटों में से महज 1.4 फीसदी नोट ही जमा नहीं हुए हैं। यानी 98 फीसदी से ज्यादा बंद नोट वापस मुद्रा बैंकिंग सिस्टम में लौट आई है। जिसे विपक्ष सरकार की विफलता बता रहा है। इस पर सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। हालांकि सरकार ये मानने को तैयार नहीं है कि वो नोटबंदी अपने उद्देश्य में विफल हुई है।

नोटबंदी पास या फेल?

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के दौरान कही गई बातों में और अब वित्तमंत्री अरूण जेटली के द्वारा दिए बयान में कितना अंतर है आप खुद ही इन दोनों के आधार पर अंदाजा लगा सकते हैं।  

 

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