पिछले कई हफ्ते से बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच कलह के बुलबुले निकलते दिखाई दे रहे हैं। पहले पार्टी सुप्रीमो लालू यादव के दोनों बेटे- तेज प्रताप यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच पोस्टर वार और अब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नहीं पहुंचे पर। दरअसल, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रविवार को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ध्वजारोहण के लिए नहीं पहुचें। जिसके बाद से पटना की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
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दरअसल, ऐसा बताया जा रहा है कि जगदानंद सिंह तेज प्रताप यादव के अपने खिलाफ दिए एक बयान को लेकर खफा हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी वो कार्यालय भी नहीं जा रहे हैं। डर है कि कहीं रघुवंश प्रसाद सिंह की तरह जगदानंद सिंह भी पार्टी का दामन ना छोड़ दें। पार्टी लेवल पर इस कलह को पाटने की कोशिश लगातार जारी है।
पिछले दिनों तेज प्रताप यादव ने आरजेडी के प्रदेश कार्यालय में एक सप्ताह पहले छात्र आरजेडी की बैठक में जगदानंद सिंह को 'हिटलर' कह डाला था। तेज प्रताप ने यहां तक कहा था कि आरजेडी का कोई भी कार्यक्रम हो, जगदानंद सिंह भी सिस्टम बनाने में लगते हैं, हिटलर की तरह बोलने लगते हैं। तेज प्रताप यही नहीं रूके थे, उन्होंने इशारों में यह भी कह डाला था कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं, आज किसी के पास है तो कल किसी और के पास होगी।
वहीं, इसी दौरान पोस्टर विवाद को लेकर भी आरजेडी में कलह पनपते दिखाई दे रहे हैं। कार्यालय के बाहर लगे एक पोस्टर में तेज प्रताप यादव की तस्वीरें देखी गई थी, लेकिन इस पोस्टर से तेजस्वी गायब थे। जिसके बाद माना जा रहा है कि दोनों भाइयों के बीच वर्चस्व की लड़ाई लगातार जारी है। दरअसल, तेज प्रताप यादव लालू परिवार में बड़े बेटे हैं। जबकि, तेजस्वी छोटे बेटे होने के बावजूद सदन में नेता प्रतिपक्ष हैं।
आरजेडी जेडीयू में टूट की बात को दोहरा रही है लेकिन इस वक्त राजद के भीतर कलह दिखाई दे रहे हैं। वहीं, तेजस्वी यादव बीते महीने से लगातार लोजपा सांसद चिराग पासवान को अपने पाले में करने में लगे हुए हैं। लेकिन, अभी तक चिराग पासवान इससे नकारते आए हैं।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बिहार एनडीए से अलग होकर खुद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का भारी नुकसान हुआ था। वहीं, चिराग को 143 सीटों पर उतारे गए उम्मीदवारों में से मात्र एक सीट जीत पाएं वो विधायक भी अब नीतीश के पाले में जा चुके हैं।
भले हीं, चिराग पासवान को मात्र एक सीट नसीब हुई हो। लेकिन, उनके वोट बैंक में बढोतरी ने पार्टी को गदगद कर दिया। फिलहाल चिराग पासवान पार्टी के भीतर सांसद और चाचा पशुपति पारस गुटों द्वारा बगावत की वजह से उपजे हालात को संभालने में लगे हैं लेकिन, रार दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है।
बीते दिनों आउटलुक से बातचीत में बीते दिनों राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा था कि यदि चिराग तेजस्वी का साथ देते हैं तो उनका खुले दिल से स्वागत है। साथ हीं, आउटलुक के साथ बातचीत में तिवारी ने ये भी दावा किया था कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बस कुछ महीनों की है। घटक दल हम और वीआईपी दोनों- नीतीश के रवैये से नाखुश हैं और मांझी-साहनी तेजस्वी के संपर्क में हैं।