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यूपी की जंग : चुनावी वादों-दलित मसलों से घिरी भाजपा को संघ का ही आसरा

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ की मंशा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस बार सत्‍ता में बदलाव होना चाहिए। इसके लिए संघ पीछे से अपनी रणनीति पर कार्य करेगा। सरसंघचालक मोहन भागवत ने इसके संकेत दिए हैं। देश में दलितों को लेकर हो रहे बवाल से चिंतित संघ प्रमुख ने सामाजिक समरसता पर भी पूरा जोर दिया। संघ की संगठनात्मक बैठकों में ऐसे सभी मसलों सहित पूरी रणनीति पर मंथन किया गया। लोकसभा चुनाव से पहले किए वादे और दलित मामलों पर घिरी भाजपा अपने लिए अब नए मसले की तलाश में है। उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में भाजपा को संघ ही सबसे अहम स्‍तंभ के रुप में दिख रहा है।
यूपी की जंग : चुनावी वादों-दलित मसलों से घिरी भाजपा को संघ का ही आसरा

 

अगले साल उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। लिहाजा संघ की उप्रमेरठ और उत्तराखंड प्रांत के प्रांतीय पदाधिकारियों और गतिविधि के प्रमुखों की बैठक को बेहद महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख के आगरा प्रवास के तीसरे दिन उत्तराखंडब्रज एवं मेरठ प्रांत बैठक भी इसी पर केंद्रित रही।

सूत्रों के अनुसार संघ प्रमुख ने सभी पदाधिकारियों से कार्यो की समीक्षा के साथ अन्य गतिविधियों को बढ़ाने को कहा। प्रांतों की स्थिति और उनकी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी ली। पदाधिकारियों से संघ की शाखाओं में संख्या पर विशेष ध्यान के साथ विस्तार के निर्देश दिए। इसी के साथ समरसता और समन्वय बनाने की बात कही। इशाराें में संघ प्रमुख ने हिंदुत्व को जगाने और आगामी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए। चुनावी लिहाज से जनता को दूसरे राजनीतिक दलों (भाजपा छोड़कर) के समर्थन के जोखिम समझाने की बात भी कही।

 

उन्होंने कहाहमें हर मोर्चे पर सहयोग के लिए तत्पर रहना होगा। समाज को विकृत होने से बचाने के लिए बदलाव की जरूरत है। हमें उन परिस्थितियों को लाने के लिए जुटना होगाजिसमें देश विरोधी ताकतें बलशाली न हो पाएं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सोशल मीडिया गलत नहीं है। जरूरत हैतो सही तरीके से इस्तेमाल की। शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वे छात्रों को इसका सही इस्तेमाल सिखाएं। भागवत ने शिक्षकों और छात्रों के साथ आयोजित बौद्धिक सत्र में ये विचार रखें। उन्होंने मुक्त चिंतन सत्र में छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। संघ प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि स्किल और एजुकेशन दोनों जरूरी हैं। सिर्फ डिग्री रखने से बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जाएगी। संघ प्रमुख कहा कि युवाओं को प्रेरित करने का काम शिक्षकों के हाथ में है। शिक्षकों एवं शिक्षण संस्थाओं का दायित्व है कि वे युवाओं को सही दिशा-निर्देश दें और देश की उन्नति में सहयोग करें। 

संघ प्रमुख ने अंतरजातीय विवाह का उदाहरण देकर कहा कि कथित सवर्ण और अवर्ण व्यक्तियों एवं परिवारों के बीच स्‍नेह संबंध बनने चाहिए। एक दूसरे के यहां आने-जाने से व्यवहार विकसित होगा। संघ की गतिविधियाें का उद्देश्य परिवर्तन लाना है। महाराष्ट्र में प्रथम अंतरजातीय विवाह 1942 में हुआ थाजिस पर बाबा साहब अंबेडकर और तत्कालीन सरसंघचालक माधवराव गोलवलकर ने भी मंगलकामनाएं दी थीं।

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