राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपना अलग संगठन बना लिया है। जिसका नाम उन्होंने 'छात्र जनशक्ति परिषद' रखा है। तेजप्रताप यादव ने ये संगठन ऐसे समय में बनाया है जब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और उनके बीच में छात्र राजद आकाश यादव को हटाए जाने के बाद ठनी है। अब आकाश यादव लोजपा में शामिल हो चुके हैं और जगदानंद सिंह ने गगन कुमार को छात्र राजद का नया अध्यक्ष बनाया है।
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तेज प्रताप यादव लगातार सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए लगातार अलग-अलग तरीके के पोस्ट कर रहे हैं। जिससे राजनीतिक गलियारों में कई कयास लगाए जा रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों खुद और भाई तेजस्वी को कृष्ण-अर्जुन होने की बात कही। वहीं, कवि रामधारी सिंह दिनकर की ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे!" पक्तियों को पोस्ट किया।
दरअसल, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेज प्रताप यादव के बीच लगातार रार ठनी हुई है। तेज प्रताप यादव ने अब संगठन बनाकर खुले तौर पर जगदानंद सिंह को चुनौती देने की कोशिश की है। हालांकि, आरजेडी का कहना है कि छात्रों के हित में काम होता है तो क्या दिक्कत है। ये संगठन भी पार्टी का ही हिस्सा है। आउटलुक से बातचीत में राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, "पार्टी में कोई दिक्कत नहीं है। सब मिलकर काम कर रहे हैं तो क्या समस्या है। विरोधी दलों को कुछ भी फायदा नहीं होने वाला है।"
भले ही राजद इस बात का दावा कर रही हो कि पार्टी के भीतर सब कुछ 'ऑल इज वेल' है। लेकिन, जो तेज प्रताप के सुर निकल रहे हैं वो कुछ और इशारा कर रहे हैं। जगदानंद सिंह को तेजस्वी का समर्थन है जबकि तेज प्रताप को लेकर वो पहले ही हिदायत दे चुके हैं कि बड़ों को सम्मान करते हुए और पार्टी अनुशासन में ही बयान दें।
वहीं, जो राजद अब तक जेडीयू के टूटने की बात कह रही थी और सरकार बनाने का ख्वाब पाल रही थी। अब पार्टी के भीतर तेज प्रताप यादव तेजस्वी यादव पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। तेजस्वी की चुप्पी भी पार्टी के मौजूदा हालात को बयां कर रही है। तेजस्वी खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की विरोधी पार्टियां लालू परिवार पर जंगल राज का आरोप लगाती रही है। यही वजह थी कि बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मैदान में उतरे महागठबंधन के चेहरे और राजद नेता तेजस्वी यादव ने परिवार से दूरी बनाकर रखी ह हुई थी। क्योंकि, चुनाव प्रचार और राज्य में लगे होर्डिंग, पोस्टर से परिवार के कई सदस्यों, तेज प्रताप, मीसा भारती, राबड़ी देवी... यहां तक की लालू यादव की भी तस्वीरें गायब थी। चुनावी मंच पर भी तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव दोनों एक साथ बहुत कम ही जगहों पर ही साझा करते दिखे थे। हालांकि, तेज प्रताप के मनपंसद सीट समस्तीपुर के हसनपुर से उन्हें टिकट दिया था और वो जीत दर्ज करने में सफल भी हुए, इस दौरान प्रचार के लिए तेजस्वी ने उनके साथ मंच साझा किया था।
इस बात का भी डर आरजेडी के भीतर है कि कही तेज प्रताप यादव के बयान से आहत होकर पार्टी के वरिष्ठ नेता और लालू के करीबी माने जाने वाले जगदानंद सिंह दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का रास्ता तो नहीं चुन लेंगे। क्योंकि, बीते साल जिस वक्त लालू यादव चारा घोटाले मामले में जेल में थे, उस वक्त तेज प्रताप ने उनके खिलाफ बयान दिया था। तेज प्रताप यादव ने सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा था कि पार्टी समुद्र है, एक लोटा पानी निकल ही जाएगा तो क्या फर्क पड़ता है। जिसके बाद माना गया कि इससे आहत होकर रघुवंश सिंह ने एम्स दिल्ली में भर्ती के दौरान ही लालू के नाम पत्र लिखकर इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उनकी मौत हो गई।
इस वक्त राजद एक तरफ सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी हुई है। और मौका का इंतजार कर रही है कि एनडीए के भीतर पनपती बगावत कब बाहर आए। वहीं, पार्टी खुद के भीतर मचे दंगल से भी संघर्ष कर रही है।