पांचजन्य में छपे इस लेख में कर्नाटक सरकार पर अल्पसंख्यक समुदाय का तुष्टिकरण करने के उद्देश्य से टीपू जयंती मनाने का आरोप लगाया गया है। लेख में टीपू को दक्षिण का औरंगजेब बताया गया है, जिसने जबरन लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया। लेख में एक प्रमुख संत का हवाला देते हुए सलाह दी गई है कि सरकार को टीपू जैसी विवादित हस्तियों की जयंती से दूर रहना चाहिए बल्कि मौलाना अबुल कलाम आजाद और सर मिर्जा इस्माइल जैसी मुस्लिम शख्सियतों की जयंती मनानी चाहिए। सर मिर्जा इस्माइल मैसूर रियासत और बाद में जयपुर और हैदराबाद के दीवान थे।
आरएसएस समर्थक प्रकाशन पांचजन्य के लेख में कहा गया है कि टीपू विवादित शख्सियत रहे हैं और टीपू जयंती मनाने का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करना था। लेख में कहा गया कि सरकार के इस कदम ने उनसे सहानुभूति रखने वालों और उनका विरोध करने वालों के बीच गर्मागरम बहस को जन्म दे दिया है। लेख में टीपू की शख्सियत के बारे में बड़े साफ तौर पर कहा गया कि हिंदू संगठन दावा करते हैं कि टीपू धर्मनिरपेक्ष नहीं था बल्कि एक असहिष्णु और निरंकुश शासक था। वह दक्षिण का औरंगजेब था जिसने लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया और बड़ी संख्या में मंदिरों को गिराया।