उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव में भाजपा का परचम लहरा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें आज अपनी पहली ‘परीक्षा’ उत्तीर्ण कर ली।
यह पहला सीधा चुनाव था जो भाजपा ने योगी के नेतृत्व में लड़ा था, जिसमे पार्टी को जबरदस्त जीत हासिल हुई। योगी नें इन चुनावों में धुआंधार प्रचार किया था और पार्टी के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी, जबकि विरोधी पार्टियां इसे उनकी संभावित हार की बौखलाहट करार दे रहे थे।
अब तक के आए नतीजों में, भाजपा के 16 में से 14 मेयर प्रत्याशियों ने विभिन्न नगर निगम चुनावों में जीत हासिल की। दो सीटों, अलीगढ और मेरठ में बहुजन समाज पार्टी के उम्मेदवारों नें जीत दर्ज की, वहीँ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का खाता तक ना खुल सका।
भाजपा के प्रत्याशी धर्मनगरी अयोध्या, वाराणसी, मथुरा के अलावा गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, कानपुर, इलाहबाद, गाज़ियाबाद, सहारनपुर, झांसी, मुरादाबाद, आगरा और फिरोज़ाबाद में मेयर चुनाव जीते।
लखनऊ को पहली बार एक महिला मेयर संयुक्त भाटिया के रूप में मिली। भाटिया पूर्व उप्र मंत्री और लखनऊ से विधायक रहे स्वर्गीय सतीश चन्द्र भाटिया की पत्नी हैं और लम्बे समय से स्वयं भी भाजपा से जुडी रही हैं।
2012 के शहरी निकाई चुनावों में निर्वार्तामान 12 मेयर सीटों में से 10 पर भाजपा का प्रतियाशी जीता था, हालांकि उस वक्त अन्य पार्टियों नें अपने पार्टी चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ा था। इस नाते, 16 में से 14 सीटें जीत कर योगी नें पिछली 2012 जीत से भी बेहतर प्रदर्शन कर के दिखाया है।
वैसे तो कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने इन चुनावों में प्रचार नहीं किया, फिर भी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका अमेठी के नगर पंचायत की सीट भाजपा के प्रत्याशी द्वारा जीतने से मिला। अमेठी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का संसदीय क्षेत्र है। इसके अलावा, सोनिया गांधी की संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी कांग्रेस कोई कमाल न कर सकी।
कांग्रेस की ही तरह सपा और बसपा के भी शीर्ष नेतृत्व ने इन चुनावों में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी और न ही कहीं प्रचार किया था, क्योंकि शायद उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा था।
इस जीत से जहां योगी के विरोधियों का मुह बंद हो जाएगा, वहीं भाजपा को गुजरात चुनावों में पहले बूटी मिल गई है और नोटबंदी और जीएसटी पर घिरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी राहत की बात है, कि एक बार फिर जनता नें भगवा पार्टी पर अपना भरोसा जताया है।
हालांकि, भाजपा ‘क्लीन स्वीप’ न कर सकी क्योंकि बसपा जो कि काफी कमजोर समझी जा रही थी वह भी दो सीटें जीतने में कामयाब रही।
इस हफ्ते योगी गुजरात चुनावों में जनसभाएं संबोधित करने जायेंगे। इस जीत के साथ साथ, योगी का भाजपा में कद और बढ़ गया है।