नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। पार्टी ने दावा किया कि वो इस पद पर रहेंगे। यानी वो अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे। गौरतलब हो कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष पद से दे दिया था। ये वाकया नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद हुआ था।
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इस इस्तीफे की बड़ी वजह माना गया कि सीएम चन्नी के जरिए सिद्धू राज्य में सरकार चलाना चाह रहे थे। लेकिन, सीएम चन्नी ने इसे नजरअंदाज कर दिया। जिसके बाद उन्होंने चन्नी पर कैबिनेट में दागियों को जगह देने का भी आरोप लगाया।
अब सिद्धू फिर से पार्टी मनाने पर शांत नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात बाद सभी चीजों का समाधान निकल गया है। अब ये माना जा रहा है कि आलाकमान उन्हें अगले चुनाव में प्रोजेक्ट कर सकती है और यही सिद्धू चाहते हैं। जिसकी वजह से उन्होंने कैप्टन के सामने रार छेड़ रखा था। हालांकि, कैप्टन अमरिंदर का कहना है कि वो सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
एआईसीसी के पंजाब प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने संवाददाताओं से कहा कि सिद्धू ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है और वह अपने पद पर बने रहेंगे क्योंकि अब पार्टी के लिए इस्तीफे का मामला खत्म हो गया है।
दरअसल, शुक्रवार को सिद्धू ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल गांधी के साथ करीब आधे घंटे तक चली बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ''मुझे जो भी चिंता थी, मैंने राहुल गांधी जी से साझा की। मेरी सभी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है।''
बाद में उन्होंने ट्वीट किया, "मैंने राहुल गांधी जी के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है, आश्वासन दिया गया कि उन्हें सुलझा लिया जाएगा।"
बैठक में मौजूद रावत ने बाद में कहा कि उनके इस्तीफे का मुद्दा अब खत्म हो गया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "उन्होंने राहुल गांधी को आश्वासन दिया है कि वह अपना इस्तीफा वापस ले रहे हैं और पीसीसी प्रमुख के रूप में अपना कर्तव्य फिर से शुरू कर रहे हैं।"
दरअसल, सिद्धू यही चाहते हैं कि पार्टी उनपर एक बार भरोसा करके अगले विधानसभा चुनाव में बतौर चेहरा उतारे। हालांकि, ये अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन, सिद्धू को मौका मिल सकता है। जबकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इससे कांग्रेस का नुकसान हो सकता है। क्योंकि, सिद्धू की उस तरह की पकड़ राज्य की जनता में नहीं है जितना कैप्टन अमरिंदर सिंह का है। पिछले विधानसभा चुनाव में कैप्टन ने अपनी बदौलत कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई थी।