बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार तीसरी बार बनाने वाले रणनीतिकार प्रंशात किशोर (पीके) क्या पंजाब में अगले साल कैप्टन की सरकार भी दूसरी बार बनवा पाएंगे? प्रशांत किशोर की अगुवाई में टीएमसी ने बंगाल में खेला कर दिया है और बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया। इसके बाद अब ये सवाल उठने लाजमी हैं कि क्या पीके का जादू पंजाब में भी चलेगा। मार्च में ही कैप्टन अमरिदंर सिंह ने पीके को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त कर 2022 में पारी दोहराने की राह अासान की है पर कल बंगाल चुनाव नतीजे के दिन ही प्रशांत के सन्यास के एलान से पंजाब के कांग्रेसी हलकों में हलचल है कि अब कैप्टन की नैया कौन पार लगाएगा? रविवार को प्रशांत किशोर ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि वे अब किसी भी पार्टी के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे। उनकी टीम यह काम संभालेगी। इस घोषणा से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए यह घोषणा एक तगड़ा झटका है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पीके ने कैप्टन के चुनावी रणनीतिकार के तौर पर मौर्चा संभाल कांग्रेस को उम्मीद से कहीं अधिक 113 में से 77 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी।
हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर द्वारा जीत के लिए कांग्र्रेस को दिए ‘कैप्टन के नौं नुक्ते’चुनावी नैया पार कराने में तो कारगर हो गए पर इन नौं नुक्तां के तौर पर जनता से किए चुनावी वादों में से 50 फीसदी भी सरकार का चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर भी नहीं निभा पाए। हालांकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह का दावा है कि 85 फीसदी चुनावी वादे पूरे किए गए हैं। इधर धार्मिक ग्रंथों की 2015-16 में हुई बेअदबी के मामलों में शिरोमणि अकाली दल एंव भाजपा गठबंधन को घेर सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस इन मामलों के दोषियों को अभी तक उजागर नहीं कर पाई है। इस मसले पर भी कांग्रेस घिरी हुई है। विपक्षी शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने किसान कर्ज माफी, घर-घर रोजगार, बेरोजगारी भत्ते जैसे मुद्दों पर कांग्रेस को घेर रहे हैं। ऐसे में प्रशांत किशाेर जैसे रणनीतिकार की सेवाएं को लेकर कांग्रेस के भीतर गतिरोध बना हुआ है। 2017 में कांग्रेस की मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष रहे वित्त मंत्री मनप्रीत बादल यहां तक कह चुके हैं, “मैं नहीं जानता कि यह प्रशांत किशोर कौन हैं,मैं इससे कभी मिला भी नहीं,मुझे नहीं मालूम कि यह अपनी सेवाएं देने के लिए कितनी फीस ले रहे हैं”?
2022 के पंजाब में विधानसभा चुनाव में भी जीत के लिए कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को रणनीतिकार के तौर पर नियुक्त किया। मार्च में ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार बने प्रशांत ने ऐसे समय में 'संन्यास' की घोषणा कर दी है, जब पंजाब में कांग्रेस बेअदबी कांड को लेकर उलझन में फंसी हुई है। चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है और इस घड़ी में प्रशांत किशोर का संन्यास के ऐलान ने कांग्रेस की 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों को जोरदार झटका लग सकता है पर जानकारों का कहना है कि प्रशांत अब पर्दे के पीछे काम करेंगे और सामने उनकी टीम होगी।
2017 के विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत से अभिभूत कैप्टन ने दूसरी पारी के लिए भी प्रशांत को केबिनेट मंत्री के दर्जे में अपना प्रधान सलाहकार बनाया। अभी तक प्रशांत की कैप्टन और कांग्रेसी विधायकों से कई दौर की चर्चा भी हो चुकी है। भले ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा प्रशांत किशोर के खिलाफ है पर सीएम कैप्टन अमरिदंर सिंह को प्रशांत किशोर से खासी उम्मीदें हैं कि बंगाल की तरह पंजाब में भी पीके का जादू चलेगा।