चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को तलब किया है। चुनाव के बाद राज्य में हिंसा के मामले को बढ़ते देखकर आयोग ने यह सख्त कदम उठाया है। आयोग ने दोनों अधिकारियों को प्रशासन की विफलता पर व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण देने के लिए गुरुवार को दिल्ली बुलाया है।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "चुनाव के बाद की हिंसा को रोकने में प्रशासन की विफलता के कारणों और भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए उठाए गए एहतियाती कदमों के बारे में व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण देने के लिए राज्य के वरिष्ठतम अधिकारियों को बुलाया गया है।”
चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव केएस जवाहर रेड्डी और पुलिस प्रमुख हरीश कुमार गुप्ता को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि ऐसी हिंसा फिर ना हो तथा राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू रहे। आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों और 175 विधानसभा सीटों पर 13 मई को मतदान हुआ था। वहीं राज्य से मंगलवार और बुधवार को हिंसा की खबरें आई थी।
द हिंदू के रिपोर्ट के अनुसार, वाईएसआर कांग्रेस के तेनाली विधानसभा उम्मीदवार अन्नाबट्टूनी शिव कुमार को एक मतदाता को थप्पड़ मारते हुए कैमरे में कैद किया गया था। आरोप था कि मतदाता ने वोट डालने के लिए कतार में कूदने की कोशिश करने पर विरोध किया था। इसके कारण उम्मीदवार और मतदाता के साथ आए वाईएसआर कांग्रेस कैडर के बीच हाथापाई हो गई। चुनाव आयोग ने पुलिस को आदेश दिया कि जबतक मतदान का समय समाप्त नहीं होता तबतक शिव कुमार को घर में नजरबंद कर दिया जाए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी मुकेश कुमार मीना के मुताबिक, राज्य के कई हिस्सों में छिटपुट हिंसा की खबरें हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कुप्पम में वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी कार्यकर्ताओं के बीच विवाद के कारण चुनाव अधिकारियों ने कुछ समय के लिए मतदान को रोक दिया था वहीं, रेलवे कोडुरु और माचेरला में कथित तौर पर ईवीएम के खराब होने की वजह से मतदान को रोका गया था।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा के कारण अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में पोलिंग एजेंट सहित कुछ लोग भी घायल हो गए थे। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरूपति, ताड़ीपत्री और पालनाडु में मुठभेड़ हुई। वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पालनाडु में कच्चे बम फेंके गए और वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, यहां तक कि पुलिस को झड़प करने वाले समूहों को रोकने के लिए रबर की गोलियां भी चलानी पड़ी थी।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पोलिंग एजेंटों का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था जिन्हें चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद रिहा किया गया।