असम में भाजपा की सहयोगी पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गया है। असम में अगले माह होने वाले चुनावों से पहले भाजपा के सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट या बीपीएफ ने ऐलान किया कि वह सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को छोड़ रहा है और विपक्षी मोर्चे में शामिल हो रहा है। असम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को यह बड़ा फायदा मिला है जबकि भाजपा को इससे झटका लगा है।
बीपीएफ के अध्यक्ष हागरामा मोहिलारी ने फेसबुक पर एक बयान में कहा है, “शांति, एकता और विकास के लिए काम करना और असम में भ्रष्टाचार से मुक्त एक स्थिर सरकार लाने के लिए बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने महाजथ के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है। बीपीएफ अब बीजेपी के साथ दोस्ती या गठबंधन नहीं बनाए रखेगा। आगामी असम विधानसभा चुनाव में बीपीएफ महाजथ के साथ हाथ मिलाकर काम करेगा।"
बता दें कि बीपीएफ ने पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की 126 सीटों में से 12 सीटें जीती थीं और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गया था। मगर पिछले साल के आखिर में बीजेपी को बीपीएफ ने धूल चटा दी और बहुमत हासिल करने व असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में स्वशासी निकाय, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) पर काबिज होने के लिए एक नया साथी चुन लिया।
राज्य में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में तीन मंत्रियों वाली बीपीएफ दिसंबर में बीटीसी चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसने 40 सदस्यीय निकाय में 17 सीटें जीतीं।
बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हालांकि 12 सीटें जीतने के लिए यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) को बधाई दी और अपने ट्वीट में पार्टी को "सहयोगी" करार दिया। सोनोवाल ने ऐलान किया कि यूपीपीएल प्रमुख प्रमोद बोरो बीटीसी में नए मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) होंगे।