सरकार ने कहा कि गतिरोध का हल करने के लिए आंदोलनकारी चिकित्सकों के साथ बैठक की कोई शर्त स्वीकार्य नहीं है। राज्य की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चूंकि उन्होंने कुछ शर्तें लगाई हैं, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि चिकित्सक खुले मन से बैठक नहीं करना चाहते।

इससे पहले, चिकित्सकों ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि मुख्य सचिव द्वारा निर्धारित अधिकतम 15 प्रतिनिधियों के बजाय बैठक में कम से कम 30 प्रतिनिधियों को अनुमति दी जाए, केवल उनकी मांगों पर बातचीत की जाए, बातचीत का टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाए और चर्चा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में की जाए।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘बातचीत के लिए शर्तें लगाना चिकित्सकों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए खुले मन से आगे आने का संकेत नहीं है। सरकार उनकी हर बात सुनने के लिए तैयार है; लेकिन वे ऐसी बैठक के लिए पूर्व शर्तें नहीं तय कर सकते।’’

उन्होंने बुधवार तड़के 3.49 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को ईमेल भेजने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इसके पीछे ‘‘राजनीतिक उकसावा’’ हो सकता है।

मंत्री ने पुष्टि की कि राज्य सरकार आंदोलनकारी चिकित्सकों को काम पर वापस लौटने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करेगी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आप देखेंगे कि जब ऐसा होगा तो हम इस बारे में क्या कदम उठाएंगे।’’

एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, ‘‘हमने अब तक जो कहा है, उसके अलावा कोई नई शर्त नहीं लगाई है। हमने उस बैठक में खुले मन से जाने की योजना बनाई थी।’’

राज्य के स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी मांग कर रहे हैं कि कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल, राज्य के स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएचई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को उनके पदों से हटाया जाए।

दस सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश की अवहेलना करते हुए प्रदर्शनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों ने न्याय की मांग को लेकर बुधवार को 33वें दिन भी काम बंद रखा।

इस बीच, एक अधिकारी ने बताया कि आरजी कर अस्पताल के प्राधिकारियों ने धमकी देने और संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खराब करने के आरोपी 51 डॉक्टर के मामले में सुनवाई स्थगित कर दी है।

अधिकारी ने बताया कि जांच समिति के समक्ष अगली सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है।

इस बीच, तृणमूल नेताओं ने आंदोलनकारी चिकित्सकों को ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ बताते हुए कहा कि पार्टी भी आंदोलनकारी चिकित्सकों के खिलाफ जवाबी प्रदर्शन कर सकती है।

सरकार ने चिकित्सकों को शाम छह बजे राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में बैठक में शामिल होने को कहा था।

इससे पहले दिन में आंदोलनकारी चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ई-मेल भेजकर गतिरोध पर चर्चा के लिए समय मांगा था। इसके जवाब में सरकार की ओर से उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित करते हुए 12-15 प्रतिनिधियों को इसमें शामिल होने को कहा गया था।

राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने पत्र में कहा, ‘‘हम आपके प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित करते हैं, जिसमें 12-15 सहकर्मी हों, जो आज (बुधवार) शाम छह बजे ‘नबान्न’ में चर्चा के लिए शामिल हों। कृपया अपने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की सूची ईमेल द्वारा भेजें। हम आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं और एक सार्थक बातचीत की उम्मीद करते हैं।’’

हालांकि, इसमें यह उल्लेख नहीं किया गया कि बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी या नहीं।

पंत ने यह भी कहा कि डॉक्टर मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने की समयसीमा के पालन से पहले ही चूक गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आप नि:संदेह इस बात पर सहमति जताएंगे कि कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में इन निर्देशों का पालन करना हर किसी का कर्तव्य है। दुर्भाग्य से, अभी तक इसका पालन नहीं किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि आप उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए तुरंत काम पर लौट आएंगे। राज्य सरकार की ओर से हम आपसे अपील करते हैं कि आप काम पर लौटें और आम लोगों को उचित उपचार प्रदान करें।’’

सरकार के निमंत्रण के बावजूद आंदोलनकारियों ने बातचीत के लिए कुछ मांगें रख दीं।

इससे पहले, एक कनिष्ठ चिकित्सक ने ‘पीटीआई-’ से कहा था, ‘‘नबान्न के निमंत्रण को स्वीकार करने या न करने का फैसला करने से पहले कई बिंदुओं पर चर्चा करने की जरूरत है।’’