पश्चिम बंगाल में पिछले दो महीनों से कोविड-19 की स्थिति में सुधार नजर आया है। डेटा से पता चलता है कि राज्य में जुलाई माह में कोविड मामलों की संख्या मई में दर्ज मामलों की तुलना में 19.4 गुना कम थी। उस समय राज्य में पांच हफ्ते तक चलने वाले विधानसभा चुनावों के बाद महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर पहुंच गई थी, जिसके बाद अब तृणमूल कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर उपचुनाव कराने का दबाव बना रही है।
कोरोना की स्थिति में सुधार की बात करते हुए राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर पहले सात विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों में वह नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से हार गई थी। इसलिए ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए 5 नवंबर तक निर्वाचित होने की जरूरत है।
पिछले महीने नई दिल्ली में चुनाव आयोग से मिलने के बाद पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी के नेतृत्व में एक अन्य टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने 5 अगस्त को पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी आरिज आफताब के साथ एक नियुक्ति सौंपी। जिसमें चुनाव आयोग से 7 सीटों पर चुनाव कराने की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया गया।
चटर्जी ने कहा, "सरकार के गठन के तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन इन चुनावों को कराने के लिए चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं हुई है।" उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है और चुनाव हो सकते हैं।
राज्य में विधासनभा चुनावों के बाद कोरोना के मामलों में काफी उछाल आया था। लेकिन मई में दर्ज 5,48,011 मामलों की तुलना में, राज्य में जुलाई में केवल 28,236 मामले दर्ज किए गए। नतीजतन सक्रिय मामलों की संख्या 31 मई को 87,048 से घटकर 31 जुलाई को 11,113 हो गई।
बता दें कि कूचबिहार, नदिया, उत्तर 24-परगना, मुर्शिदाबाद, कोलकाता और दक्षिण 24-परगना जिलों में चुनाव होने हैं। ममता बनर्जी के अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर से चुनाव लड़ने की उम्मीद है। ईसीआई ने हाल ही में राज्यसभा उपचुनाव कराया था जिसमें टीएमसी के उम्मीदवार जवाहर सरकार ने निर्विरोध जीत हासिल की थी।