रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को पाने के लिए चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच घमासान तेज है। इस बीच राम विलास पासवान की जयंती के दिन दोनों नेताओं ने शक्ति प्रदर्शन भी किया। लोक जनशक्ति पार्टी का राजनीतिक भविष्य कैसा होगा ये आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन चिराग पासवान अपने पिता के फॉर्मूले पर चलते नजर आ रहे हैं। दरअसल, चिराग ने अपने आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत हाजीपुर और खासतौर पर सुल्तानपुर गांव से करके बड़ा राजनीतिक संकेत दिया है।
रविवार को जब चिराग हाजीपुर के सुल्तानपुर गांव में पहुंचे तब 'देखो-देखो कौन आया, शेर आया-शेर आया' और 'धरती गूंजे आसमान, रामविलास पासवान' के नारे लगने लगे। इस दौरान चिराग ने यहां बताया कि आखिर उन्होंने आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत हाजीपुर और खासतौर पर सुल्तानपुर गांव से ही क्यों की?
उन्होंने बताया कि इस गांव से रामविलास पासवान का पुराना रिश्ता रहा है, वो यहीं बैठकर अपनी चुनावी रणनीति बनाया करते थे बाद में उन्होंने इस गांव को गोद ले लिया और खुद का एक मकान भी बनवाया। इसी के मद्देनजर चिराग ने भी इस गांव को प्रमुखता दी है। चिराग ने हाजीपुर के सुल्तानपुर गांव में अपने पिता के चित्र पर माल्यार्पण किया और हाजीपुर से पटना के लिए रवाना हो गए।
बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट के बाद 5 जुलाई को पहली बार दोनों ही गुटों ने बिहार में शक्ति प्रदर्शन किया। रामविलास पासवान की जयंती के दिन एक तरफ उनके छोटे भाई और बागी गुट के मुखिया पशुपति पारस ने पटना के लोजपा दफ्तर में अपने साथियों के साथ रामविलास पासवान की जयंती मनाकर अपनी ताकत दिखाई। तो वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान पार्टी में टूट के बाद पहली बार बिहार आए और पिता की राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोंका।