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बजट 2024: कांग्रेस का बीजेपी को घेरने का प्लान, पार्टी जनता के सामने उठाएगी महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर का मुद्दा

कांग्रेस ने बुधवार को फैसला किया कि वह संसद के बजट सत्र में महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर समेत विभिन्न...
बजट 2024: कांग्रेस का बीजेपी को घेरने का प्लान, पार्टी जनता के सामने उठाएगी महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर का मुद्दा

कांग्रेस ने बुधवार को फैसला किया कि वह संसद के बजट सत्र में महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर समेत विभिन्न मुद्दों को उठाने का प्रयास करेगी। पार्टी की संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक में बजट सत्र में उठाये जाने वाले विषयों और रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के कई अन्य नेता शामिल हुए।

बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, "राष्ट्रपति का संबोधन (बजट सत्र से पहले दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में) आमतौर पर उन कदमों के बारे में होता है जो सरकार भविष्य में उठाएगी… लेकिन इसमें महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की आय दोगुनी करने और मणिपुर जैसे मुद्दों का कोई जिक्र नहीं था। हम चाहते हैं कि ये मुद्दे उठाए जाएं।" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा बुधवार को संसद के दोनों सदनों- लोकसभा तथा राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ सत्र की शुरुआत हुई। 

दूसरी तरफ, 1 फरवरी 2024 यानी कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी. इसमें होने वाले घोषणाओं को लेकर नागरिकों और कॉरपोरेट्स के बीच काफी उम्मीदें हैं. फिलहाल दुनिया अनिश्चिताओं से घिरी हई है और भारत एकमात्र 'ब्राइट-स्पॉट' बनकर उभरा है. पिछले 10 सालों में भारत में कई पॉलिसी रिफार्म हुए हैं लेकिन क्या मोदी सरकार के इस अंतरिम बजट में भी कोई बदलाव या लोकलुभावन वादे होंगे? 

पॉलिसी रिफॉर्म की बात करें तो अंतरिम बजट की अस्थायी प्रकृति और राष्ट्रीय चुनावों की निकटता को देखते हुए, यह अन-लाइक्ली है कि वित्त मंत्री कोई भी महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन या वित्तीय सुधार पेश करेंगी. जैसा कि पहले निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया था, बजट मुख्य रूप से दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतियों के बजाय तत्काल व्यय को संबोधित करेगा.

बजट में जबकि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा लेकिन बजट में बड़े पैमाने पर कल्याण कार्यक्रम शुरू करने की संभावना नहीं है. ऐसी किसी भी पहल के लिए व्यापक वित्तीय प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होगी जो चुनाव के बाद पूर्ण बजट चर्चा के लिए अधिक उपयुक्त हों.

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