झारखंड की हेमंत सरकार को गिराने की साजिश और धमकी की खबरें बीच-बीच में निकलती रहती हैं। अब फिर से सरकार गिराने की साजिश के नये चैप्टर के साथ खुद सोरेन परिवार और सहयोगी पार्टियों में कुछ-कुछ चल रहा है। हेमंत सोरेन ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है मगर इसका मतलब यह नहीं कि वे पूरी तरह सहज होंगे।
लालू प्रसाद के परिवार की हवा सोरेन परिवार की तरफ भी बह रही है। लालू प्रसाद के दोनों बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप के रास्ते जुदा-जुदा दिख रहे हैं। वहीं हेमंत सोरेन की दो भतीजी यानी बड़े भाई स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की बेटी राजश्री सोरेन और जयश्री सोरेन ने अलग मोर्चा खोल दिया है। दुर्गा सोरेन ही शिबू सोरेन के असल राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते थे। असामयिक मौत के कारण हेमंत उभरे। हालांकि दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अपने पति दुर्गा सोरेन की विरासत संभाल रही हैं और जामा से तीन टर्म से झामुमो विधायक हैं। हेमंत सरकार की तारीफ करने के साथ-साथ समय समय पर सोशल मीडिया में सरकार के काम काज को लेकर जमकर आलोचना भी करती हैं। लोग सरकार और पार्टी में हिस्सेदारी की चाहत इसकी वजह मानते हैं। बेटियों के लिए भी जगह तलाशने की चर्चा हो जाती है।
अब इनकी दोनों बेटियों ने पिता दुर्गा सोरेन के सपनों को साकार करने का नारा देते हुए दुर्गा सोरेन सेना का गठन किया है। कहती हैं कि झारखंड की बेहतरी और यहां के लोगों की मदद के लिए इस संगठन का निर्माण किया गया है। दोनों की दलील भी है कि हेमन्त सरकार बेहतर काम कर रही है और दुर्गा सोरेन सेना का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। संगठन के लोकार्पण के मौके पर सीता सोरेन सामने नहीं आईं मगर इससे संबंधित बेटी के ट्वीट को रीट्वीट जरूर किया। अब रामगढ़ में इसका कार्यालय भी खुल गया है। यानी चाल तेज हैं।
अब रही बात हेमंत सरकार में शामिल कांग्रेस और राजद की तो बिहार में दोनों पार्टियों के 36 के रिश्ते की हवा यहां भी बह रही है। बीते विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़े थे। अब बिहार के तारापुर और कुशेश्वर स्थान विधानसभा उप चुनाव में राजद और कांग्रेस दोनों ने दोनों सीटों से अपने उम्मीदवार उतार दिये। बल्कि चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने साफ कह दिया कि फिलहाल राजद से कांग्रेस का रिश्ता खत्म। एक दौर यह भी था कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बारे में कहा जाता था कि बिहार में कांग्रेस की टिकट लालू तय करते हैं। बहरहाल बिहार का असर झारखंड पर भी पड़ रहा है। सोमवार को झारखंड के लातेहार जिला के मनिका में विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सह मिलन समारोह में झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व हेमंत सरकार में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा दिया कि राजद बिहार की पार्टी है। झारखंड में उसका कोई जनाधार नहीं है।
इस समारोह में राजद के अनेक कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तारीक अनवर भी समारोह में शामिल थे। राजद की झारखंड में अलग स्थिति है। राजद ने बीते विधानसभा चुनाव में सात उम्मीदवार उतारे थे मगर सिर्फ एक, सत्यानंद भोक्ता को जीत मिली।हेमंत की मेहरबानी कि भोक्ता, हेमन्त सरकार में श्रम मंत्री हैं। रामेश्वर उरांव के बयान पर राजद को तितकी लगी तो प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कह दिया कि हैसियत है तो कांग्रेस अकेले चुनाव लड़कर दिखाये। कांग्रेस अब राष्ट्रीय नहीं क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह गई है। गठबंधन में चुनाव नहीं होता तो रामेश्वर उरांव भी सदन नहीं पहुंचते। सरकार में शामिल पार्टियों में इस तरह सिर फुटौव्वल हो तो मुख्यमंत्री सहज नहीं रह सकते।
यह सब चल ही रहा था कि घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने हेमन्त सरकार को अस्थिर करने की साजिश का नया बम फोड़ दिया। रामदास सोरेन ने झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल और उनके मित्र अशोक अग्रवाल पर आरोप लगाया कि हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्होंने मुझसे संपर्क किया। मुंह मांगा खर्च करने को तैयार थे। रामदास सोरेन ने दोनों के खिलाफ रांची के धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। रवि केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि एक समय में पार्टी में उसकी समानांतर व्यवस्था थी। अंदरखाने में गहरी पकड़ थी, हेमन्त सोरेन से काफी निकटता थी। मगर पिछले साल पार्टी विरोधी गतिविधि के नाम पर छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अशोक अग्रवाल, रवि केजरीवाल के करीबी कारोबारी मित्र हैं।
बता दें कि इसके पूर्व बेरमो से कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने जुलाई महीने में सरकार गिराने की साजिश को लेकर रांची के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस पर राजनीतिक हलकों में तूफान मचा रहा। एसआइटी मामले की जांच कर रही है। दो गिरफ्तार लोग जेल में बंद हैं। विपक्ष की चुनौतियों के साथ घर में भी चुनौती मिलने लगे तो सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं।