कांग्रेस ने मुंबई में अडाणी एंटरप्राइजेज के दो हवाईअड्डों के खातों की कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा कथित जांच को शनिवार को ‘आंख में धूल झोंकने वाला’ और ‘दिखावा’ करार दिया तथा फिर से यह मांग दोहराई कि अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच करानी चाहिए।
अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराए जाने की मांग कर रही है। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है। उसका कहना है कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को एक खबर का उल्लेख किया जिसमें अडाणी एंटरप्राइजेज के हवाले से कहा गया है कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में इस कारोबारी समूह के स्वामित्व वाले दो हवाई अड्डों के खातों की जांच कर रहा है।
उन्होंने सवाल किया कि सरकार इस बात की जांच कब करेगी कि नीति आयोग और आर्थिक मामलों के विभाग की आपत्तियों के बावजूद अडाणी समूह को छह में से छह हवाई अड्डे कैसे दिए गए?
रमेश ने यह भी कहा, ‘‘यह जांच कब की जाएगी कि ईडी और सीबीआई ने मुंबई हवाई अड्डे के पिछले मालिकों पर उस वक्त छापा क्यों मारा, जब वे अडाणी समूह को हवाई अड्डे के परिचालन का स्वामित्व बेचने के लिए तैयार नहीं थे और प्रधानमंत्री के सबसे करीबी दोस्त द्वारा भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे का नियंत्रण लेने के बाद मामला कैसे ठंडे बस्ते में चला गया?’
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस तरह के ‘दिखावे’ और ‘आंख में धूल झोंकने’ से काम नहीं चलेगा, क्योंकि जेपीसी जांच से ही ‘मोडानी महाघोटाले’ की सच्चाई सामने आ सकती है।