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मांसाहार पर प्रधानमंत्री के बयान को लेकर कांग्रेस का हमला, कहा- लोकसभा चुनाव से पहले घबराए हैं मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सावन के महीने में मांस के सेवन का वीडियो दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय को...
मांसाहार पर प्रधानमंत्री के बयान को लेकर कांग्रेस का हमला, कहा- लोकसभा चुनाव से पहले घबराए हैं मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सावन के महीने में मांस के सेवन का वीडियो दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय को चिढ़ाने के लिये विपक्ष पर निशाना साधने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले घबराए हुए हैं। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर हर दिन मुद्दों को नया मोड़ देने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री की सतत राजनीतिक बयानबाजी बचकानी और थकाऊ है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा चुनावों में पिछड़ रही है, क्योंकि उसने अभी तक अपना घोषणापत्र तैयार नहीं किया है, जबकि कांग्रेस पहले ही घोषणापत्र जारी कर चुकी है और लोगों तक पहुंच रही है।

रमेश की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू कश्मीर में एक चुनावी रैली में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की मानसिकता की तुलना मुगलों से की और कहा कि उन्हें मंदिरों में तोड़फोड़ करने से खुशी मिलती थी। मोदी ने उन पर अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सावन के महीने में मांस खाने के वीडियो दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय को चिढ़ाने का आरोप लगाया।

रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री की तरह, हमने यह तो ‘ट्रैक’ नहीं किया है कि किस नेता ने किस महीने में क्या खाया, लेकिन पोषण से जुड़े इन आंकड़ों पर हम जरूर नजर रख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि एनीमिया (रक्त अल्पता) के कई कारण हैं, जिनमें आयरन की कमी, अपर्याप्त आहार और अन्य पोषक तत्वों की कमी शामिल है। रमेश ने कहा कि साल 2015-16 और 2019-21 के बीच 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ गया।

उन्होंने कहा कि 15 से 19 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 9.2 प्रतिशत बढ़ी है। रमेश ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में, पांच साल से कम उम्र के दस में से आठ बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के लिए नाश्ते को शामिल करने की 4000 करोड़ रुपए की एक योजना को वित्त मंत्रालय ने धन की कमी बताकर वीटो कर दिया था।’’

उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल हेल्थ इंडिकेटर’ (जीएचआई) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में बच्चों में ‘वेस्टिंग’ (लंबाई के हिसाब से कम वजन) दर 18.7 प्रतिशत है, जो इसके सूचकांक में शामिल देशों में सबसे अधिक है। 

उन्होंने बताया कि बच्चों में बौनेपन (उम्र के हिसाब से बेहद कम लंबाई) की दर 35.5 फीसदी है, जो दुनिया में 15वें नंबर पर सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है, और कई संकेतकों के अनुसार यह और भी बदतर होती जा रही है। रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अपनी बीमार मानसिकता का हर रोज़ एक नया उदाहरण पेश करते हैं। अब वह खाने की बातों को लेकर भी द्वेष फैला रहे हैं?’’ उन्होंने कहा कि पहले चरण के मतदान से एक सप्ताह पहले, भाजपा बड़ी मुश्किल से एक घोषणापत्र समिति बना पाई है।

 

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