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जितिन प्रसाद ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, भाजपा में हुए शामिल

कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रासद के बेटे जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता...
जितिन प्रसाद ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, भाजपा में हुए शामिल

कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रासद के बेटे जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की सर्जिकल स्ट्रायक शुरू हो गई है। इस बीच कुछ देर पहले ही जितिन प्रसाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय पहुंचे थे। 

भाजपा में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी से 3 पीढ़ियों का साथ रहा है। मैंने ये महत्वपूर्ण निर्णय बहुत सोच, विचार और मंथन के बाद लिया है। आज सवाल ये नहीं है कि मैं किस पार्टी को छोड़कर आ रहा हूं बल्कि सवाल ये है कि मैं किस पार्टी में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं। 

उन्होंने आगे कहा कि मैंने पिछले 8-10 सालों में ये महसूस किया है कि आज देश में अगर कोई असली मायने में संस्थागत राजनीतिक दल है तो भाजपा है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए मगर राष्ट्रीय दल के नाम पर भारत में कोई दल है तो भाजपा है। 

जिति प्रसाद ने कहा कि हमारा देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है उसके लिए आज देशहित में कोई दल और कोई नेता सबसे उपयुक्त और मजबूती से खड़ा है तो वो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितेंद्र प्रसाद

जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव के दौर में राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2001 में जितेंद्र प्रसाद का निधन हो गया।

पिता की मृत्यु के बाद राजनीतिक में शामिल हुए जितिन

पिता की मृत्यु के बाद जितिन प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला किया और 2001 में उन्होंने इंडियन यूथ कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया। 2004 में जितिन प्रसाद पहली बार शाहजहांपुर सीट जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। यूपीए-1 की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। 2009 में उन्होंने फिर धौरहरा लोगसभा सीट में अपनी जीत दर्ज कराई।

यूपीए-2 में जितिन को अहम मंत्रालय पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन देकर राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इन सब के बाद 2014 में वह चुनाव हार गए। तब से उन्हें यूपी कांग्रेस में तबज्जो नहीं मिल रहा था। कई बार उन्होंने खुले मंचों पर इसके खिलाफ नाराजगी व्यक्त करने की कोशिश भी की, लेकिन यूपी कांग्रेस ने उन्हें कई समितियों में जगह नहीं दी।

बता दें कि 2019 में जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने की कयास लगाई जा रही थी। बाद में उन्होंने खुद स्पष्ट किया कि वह काल्पनिक सवानों का जवाब नहीं देंगे। इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी बना दिया गया था। जिसकी वजह से वह उत्तर प्रदेश सियासत में दूर हो गए थे।

 

 

 

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