कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मध्य प्रदेश में हुई जनसभा से पहले शुक्रवार को पेपर लीक एवं कथित भर्ती घोटाले को लेकर राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि ‘‘भर्ती घोटाले’’ में किसे बचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी दमोह में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘ एक्स ’ पर पोस्ट किया , ‘‘ आज प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश जा रहे है। ये राज्य को लेकर उनसे हमारे सवाल हैं। पेपर लीक और भर्ती घोटाले में प्रधानमंत्री किसे बचा रहे हैं? वन अधिकार कानून को ठीक ढंग से लागू न करके भाजपा आदिवासियों की आजीविका और उनके अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है? मध्यप्रदेश में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे अधिक है। यह क्यों लगातार बढ़ता जा रहा है?’’
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने भले ही कर्मचारी चयन बोर्ड का नाम बदल दिया हो, लेकिन दस साल पहले प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले को कोई नहीं भूला है। रमेश का कहना है, ‘‘ व्यापमं के बाद भी नर्सिंग स्टाफ, स्कूली शिक्षक, कांस्टेबल और कृषि विकास अधिकारियों की भर्तियों में धांधली के आरोप लगे हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने जो कुछ भी किया है वह सिर्फ़ इन्हें नजरंदाज करने के लिए और इनसे ध्यान भटकाने के लिए किया है। अभी पिछले साल ही पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले के आरोप लगे थे।’’
उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रहे हैं कि युवाओं को दोबारा इस तरह के अन्याय का सामना न करना पड़े? रमेश ने कहा, ‘‘ 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। लेकिन भाजपा सरकार एफआरए के कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं।’’
उन्होंने सवाल किया कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार राज्य के आदिवासी समुदाय को सुविधाएं देने में क्यों विफल रही है? कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध दर देश में सबसे अधिक है। 2021 में (जिसका सबसे ताज़ा डेटा उपलब्ध है), अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध दर 63.6 थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 25.3 है।’’
रमेश ने प्रश्न किया, ‘‘ ऐसा क्यों है कि दलितों को अपनी सुरक्षा को लेकर डर बढ़ रहा है? क्या प्रधानमंत्री मोदी को उन अनगिनत अत्याचारों पर कोई शर्म महसूस नहीं होती जो उनके सत्ता में रहते दलितों ने सहे हैं?"